Andhere Me Kala Kafan - अंधेरे में काला कफ़न Hindi Horror Poem Written by Amrit Sahu
डरावनी कविता
अंधेरे में काला कफ़न
बिल्ली बैठी हो जैसे
किसी मुर्दे को लगाए घात
काली अत्यंत काली
खून से भरी प्याली
पत्तो मे सरसराहट हुई
जैसे कोई चुभो रहा है सुई
अभी तो केवल
आत्मा थी सोई
आवाज ऐसे आई
जैसे चला आ रहा था कोई
बिल्ली झपटी मुझ पर
कुछ इस कदर कुछ इस कदर
गला मेरा दबाने
पर मैं भी था चालाक बडा
पटका उसे इसी बहाने
पर दिल मेरा कांप गया
उस बिल्ली की चिखे सुन
तीखी गंध, हवा भी मंद, ऑंखे फूटी उसकी
और नाक से बहुत निकले खून
अरे ! ये क्या अनर्थ हुआ
पर यह कैसे अचानक हुआ
हाथ पैर मेरा लगा कांपने
भुत - प्रेत मुझे लगे ताकने
मृत्यु थी करीब जैसे मेरे
मंदिर मस्जिद भी तो नही था आस -पास
रुकु मैं लेकर किसकी आस
रोते - रोते मैं सोचने लगा
क्यो लगाई थी शर्त
कब्रिस्तान आने की मित्रो सें
उन काले -काले भयानक चित्रो से
अरें ! पागल ही था मैं
क्योकी बाते काली राते काली
और उस पर ये काला कफन
पर सब
दोस्त होंगे अभी
घर में मगन
लेकिन हो जॉंउगा मैं अब पुरा दफन
भुत का दांत बना अब टूटा सितारा
क्योकी गुस्से से मैंने एक पत्थर था उसे मारा
आत्मबल अब बढा जैसे
भुत सारे भाग गए
और लौट आया मैं कैसे भी करके
दोस्तो को मैंने आकर
एक झूठी कहानी सुनाया
जिससे मैने उनको बेवकूफ बनाया
और स्वयं को मैंने साहसी बताया
क्योकी सच्चाई यही है कि
किसने देखा हैं उन झूठे सपनो को
कौन कहे डरपोक या कायर अपने को
मैं भी हूं बलवान कहो
लोगो ने मेरी की खुब प्रशंसा
खुश था मै भी क्योकी
मिट गई थी मेरी सारी शंका
दुसरे गांव से एक व्यक्ति
यहां पर था आया
आते ही उसने वही शर्त फिर दोहराया
गांव वालो ने फक्र से मेरा नाम बताया कि
ये देखो हमारा अमृत आया, अमृत आया ।
घर में मगन
लेकिन हो जॉंउगा मैं अब पुरा दफन
भुत का दांत बना अब टूटा सितारा
क्योकी गुस्से से मैंने एक पत्थर था उसे मारा
आत्मबल अब बढा जैसे
भुत सारे भाग गए
और लौट आया मैं कैसे भी करके
दोस्तो को मैंने आकर
एक झूठी कहानी सुनाया
जिससे मैने उनको बेवकूफ बनाया
और स्वयं को मैंने साहसी बताया
क्योकी सच्चाई यही है कि
किसने देखा हैं उन झूठे सपनो को
कौन कहे डरपोक या कायर अपने को
मैं भी हूं बलवान कहो
लोगो ने मेरी की खुब प्रशंसा
खुश था मै भी क्योकी
मिट गई थी मेरी सारी शंका
दुसरे गांव से एक व्यक्ति
यहां पर था आया
आते ही उसने वही शर्त फिर दोहराया
गांव वालो ने फक्र से मेरा नाम बताया कि
ये देखो हमारा अमृत आया, अमृत आया ।
कवि: अमृत साहू ,
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