Bharat Maa Ka Beta - भारत मां का बेटा Deshbhakti Hindi Poem Written by Amrit Sahu
देशभक्ति कविता
भारत माँ का बेटा
[ कविता के बारे मे :-
जिंदगी की सीढ़ी चढ़ते-चढ़ते पैर थक जाते हैं।
कोई कहता कि जिंदगी बहुत छोटी है, तो
इतनी छोटी जिंदगी के रास्ते इतने बड़े क्यों है ?
संघर्षो की ये कतार इतने लंबे क्यो है ?
धीरे - धीरे जीवन के मायने ही बदलने लगते है ।
एक सैनिक जंग मे जाने के लिये अपनी माँ सें विदा
लेते समय कहता है कि वह लौट आएगा । ]
मैं जा रहा हुँ, आँगन छोडकर
वापस माँ मैं आऊँगा
सौंधी माटी की खुश्बु और
वही सावन की बारिश बरसाऊॅंगा
जाने का युँ ना शोक मना माँ
वरना मैं हार जाऊॅंगा
एक बार मुस्कुरा दे तो
मैं दुश्मन को मार गिराऊॅंगा
मैं जा रहा हुँ, आँगन छोडकर
वापस माँ मैं आऊॅंगा
तेरे ऑंचल से बाँध रखा हैं खुद को
पर्वत को तोड़, राह बनाऊॅंगा
गाँव की गलियों ने यूँ सींचा
बिन पानी के भी जिंदा रह जाऊॅंगा
नीम, पीपल की इस हरी धरती में
उत्साह की फसल बो जाऊॅंगा
करीब हैं वह खुशहाल जिंदगी
मैं कल ही लौट आऊॅंगा
गगन की निलिमा, सुर्य की लाली लेकर
मैं आकर तिरंगा लहराऊॅंगा ।
ये कहते - कहते अचानक शाम हो गई कि
माँ कहीं तू ना जाना आँगन छोड़कर
वरना मैं मर जाऊॅंगा
कवि:- अमृत साहु
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