Aasmaan Me Chhaye Hai Baadal - आसमान में छाए हैं बादल Romantic Hindi Poem Written by Amrit Sahu
आसमान में छाये हैं बादल
ये समा हैं इसलिए क्योकि
आसमान में छाए हैं बादल
रहे घटाओ की मस्ती हमारे तन में
तुम गुमसुम सी न रहो अकेली
ताजगी से भरी फूलों की
बस्ती हैं इस मन में
दुनिया कि नजरों से हमें बचाते तुम्हारे काजल
ये समां हैं इसलिए क्योंकि
आसमान में छाए हैं बादल
तुमसे दूर रहके हमनें भी जाना
क्या रह गया इस जनम में
सच कह गए वो लोग जो कहते
सारा जहाँ समाया हैं उस सनम में
मेरे संग रह, यूँ ही खुशी सें मचल
ये समां हैं इसलिए क्योंकि
आसमान में छाए हैं बादल
कैसे कह दूँ, उन अजनबी दोस्तो से
कितना खोया हूँ मैं उस सुमन में
इत्र सी महक हैं उतनी उसमें
जितनी न होगी किसी दुसरे चमन में
मुस्कुराकर वो लड़की मेरा जीवन रही बदल
ये समां हैं इसलिए क्योंकि
आसमान में छाए हैं बादल
शोर सें दूर इस मौसम में
स्वच्छंद हूँ मैं इस अमन में
शांत हैं वो भी कितनी
जितनी शांति हैं किसी भजन में
मुझ प्यासे को मिल गया जैसे जल
ये समा हैं इसलिए क्योंकि
आसमान में छाए हैं बादल
थामकर मेरा हाथ दूर कही चल
उड़ने दे जुलफे भीगने दे आंचल
भूल न जाना हमें
फिर मिलना हमसे यूँ ही कल
आसमान में छाने लगे जब भी ऐसे बादल ।
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