Antim Ghadi - अंतिम घड़ी Hindi Poem written by Amrit Sahu
अंतिम घड़ी
जीती प्रकृति, हारा मैं
जीता मैं भी
पर मौत ही सच हैं
मौत को देखा नही
जीवन तो एक
सपना हैं
तो क्या
मौत ही अपना हैं ?
मछली फँसी मोह
जाल में
हुआ कामयाब कोई
अपने चाल में
पता नहीं कब
उड़ जाए एक सूखी पत्ती
उस हवा के झोके से
पता नहीं कब मौत
चुरा ले जिंदगी
धोखे से
अंतिम समय आते
समय भी
होती हैं इच्छा
जीने को
मरते (तड़पते ) हुए उस पंछी को
दे दो गंगाजल
पीने को ।
Post a Comment