Shubh Ratri- शुभ रात्रि Hindi Poem Written by Amrit Sahu
शुभ रात्रि (कविता)
[कविता के बारे में :- इस कविता में रात्रि अर्थात रात के सुंदर समय का वर्णन किया गया हैं इस कविता में कहीं शांतिमय नजारो का वर्णन हैं तो कहीं साहस का । रात के समय चॉंद का बड़ा महत्व होता हैं ! सच तो यह हैं कि रात कितनी भी सुहावनी हो परंतु हम सभी को सुबह का इंतजार जरूर होता हैं । ] आसमान, अंधकार भरी थाली-सी दूर तक फैली हैं न जाने अनगिनत कितने सारे दिख जाते हैं वो तारे जिनके दुख और सुख क्षण भर में बदल जाते हैं वो दिन बड़े याद आते हैं चारो तरफ अंधेरा हैं झिंगुरो का भी डेरा हैं शांत हवा कुछ कहती हैं पंछी क्यों चुप रहती हैं गलियों में सुनापन हैं इतना सुनापन छाया हैं कि ह्रदय की धड़कन तेज नहीं फिर भी साफ सुनाई देती हैं चमक थी एक पत्थर के आस-पास अकेला केवल वहॉं मैं था डरना नहीं था मुझे आज उसमें छुपा था कोई राज पास गया तो देखा दो जुगनु बैठे थे बेचारे वे थे किस्मत के मारे क्योंकि टूट गए थें पंख सारे लेकिन फिर भी लगते बड़े प्यारे चॉंद की चॉंदनी में चॉंद-सी चमक हैं हवा सें हिलते वृक्ष में घूंघरू की झनक हैं शुभ रात्रि हो आपके लिए कितनी सुंदर शुभ रात्रि थी मुझ पर नहीं था कोई भार मुझे था सिर्फ सुबह का इंतजार मेरी थी केवल एक चाह मुझे मिल जाए जीवन की राह ।
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