Chalo Mazak Udaye - Hasya Vyang Hindi Poem Written by Amrit Sahu
चलो मजाक उड़ाए
चलो आज मजाक उड़ाए
जलती चिता की राख उड़ाए
हँसे गरीब भूखे नंगे को देखकर
छिनकर कटोरा, रोते भीखमंगे को देखकर
वृद्ध माता पिता को तंग कर
उनसे अपनी जान छुड़ाए
चलो फिर किसी का मजाक उड़ाए
चिंतित व्यक्ति की छाती में तीर भेद कर
असहाय किसी कंधे पर रेंगकर
मृतक के घर में शहनाई बजाए
चलो किसी का मजाक उड़ाए
शोक की आग में रोटीया सेंककर
किसी तड़पते की आँखे नोचकर
जानवरो के जैसा खुशी मनाए
चलो फिर किसी का मजाक उड़ाए
किसी जोकर को मरा छोड़कर
उसकी हँसी मजाक भरी बातों को सोचकर
कुद-कुदकर मजाकिया गीत गाए
चलो किसी को मजाक उड़ाए
बेसहारा कमजोर स्त्री की लज्जा बेचकर
दुख में डूबे व्यक्ति की फोटो खींचकर
जग में एक नया नाम कमाए
चलो किसी का मजाक उड़ाए
इस मजाक में तुम हँसे, दुनिया रोए
इस मस्ती के कारण क्या-क्या इस जग नें खोए
इसलिए किसी की जिंदगी को न बेरंग बनाए
हीनभावना न मन में जगाए
फिर न किसी का मजाक उड़ाए
किसी को छोटा न बड़ा समझकर
इस जग हँसाई से दुर निकल कर
लोगो के दिल जीतकर हँसें हँसाए
मिलकर हम सब कदम बढाए
फिर न किसी का मजाक उड़ाए।
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