Har Bagicha Hota Hai Aisa - हर बगीचा होता हैं ऐसा Hindi Poem on Garden written by Amrit Sahu
[ इस कविता में किसी भी बगीचे के
सरल सहज अथवा स्वभाविक रूप
का वर्णन किया गया हैं । ]
फूलो की क्यारी
लगती बहुत न्यारी
चिड़िया चहचहाती हैं
कई गीत गुनगुनाती हैं
हर कली मुस्काती हैं
फिर खिलकर बड़ी हो जाती हैं
हर किसी की जिंदगी सवँरती हैं
जब नदियाँ कही से गुजरती हैं
जहाँ देखो मिलेंगे
हरे भरे घास के मैदान
सुन्दरता देख, न हो हैरान
देखो इस बगीचे की शान
चारो ओर हैं नीला अंबर
रस भरा हैं फलो के अंदर
वृक्ष पर बैठे कई बंदर
यह सब लगता कितना सुंदर
तितलियों के पंखो पर
सुंदर रंग छाई हैं
आज अचानक फूलो को
भौरो की याद आई हैं
इस बगीचे ने मेरा मन भाया हैं
बड़ी ही शीतल पेड़ो की छाया हैं ।
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