Kahani Jungle Ki - कहानी जंगल की Funny Hindi Poem Written by Amrit Sahu
कहानी जंगल की
जंगल की एक बात सुनो
शेरो ने सभा बुलाई थीं
हिरणों की सामत आई थीं
भालू ने सबको खबर सुनाई थीं
कि शेरो ने मृत्युदंड़ देने की ठानी हैं
शुरू हुआ यह तांड़व
जिसका कारण थीं एक बंदरिया
जिसने टेंशन में पर प्यार सें
शेरनी को घर, खाने पर बुलाया था
और शेरनी को जहर पिलाया था
बंदरिया ने ऐसा क्यों किया
हुऑं यूँ कि शेर ने बंदर को मारा था
जिसके बदले की आग
बंदरिया के मन में जल रही थीं
अब काम तमाम कर दिया
बड़ी ही आसानी से
अब बचे कैसे वह शेर से
क्योंकि मार डालेगा शेर उसे घेर के
बचने का उपाय सभी से पूछा
पर उस भयानक स्थिति में किसी को कुछ न सुझा
तभी चुहे को एक आइडिया आया
कहने से पहले ही हाथी ने उसे थप्पड़ लगाया
छोटा मुंह और बड़ी बात
तुझे पता नहीं अपनी औकात
तर्क दिया अब चुहे ने
लोगो के घर रहकर कुछ सीखा हैं
तभी तो तुमको नहीं मुझे सुझा हैं
चलो कहो बंदरिया नें कहा
चुहे ने फिर स्टार्ट किया
मैं जाल बिछाता हूँ
शेर को दरिया में गिराता हूँ
एल्कोहॉल जिसमें भरा होगा
लग जाएगा खुशी का ढेर
जब बेहोश हो जाएगा शेर
परलोक उसे तब भेजा जाएगा
तभी सारा जंगल शांति पाएगा
चुहे कि जय-जयकार हुई
पर बात सीमा से पार हुई
चुहा ताने अपना सिना
सोचता अब खुशी से हैं मुझको जीना
शेर ने सुनकर यह सब
सबसे पहले चुहे को दबोचा
खत्म हुई उसकी सांस
गला सुख गया
लगी सब को अब प्यास
हाथी को दया सब जीवा पर आया
इसलिए हाथी को गुस्सा आया
एक पाँव उसने शेर पर जमाया
फिर उसे परलोक पहुँचाया
फिर दुसरे पाँव से खुशी मनाया
अब बंदरिया नाचे, हिरण नाचे
नाचे भालू, भेड़ और सियार
इस तरह खुशी मनाया
सारा जंगल परिवार ।
कवि: अमृत साहू ,
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