Man Jis Ore Chala - मन जिस ओर चला Hindi Poem written by Amrit Sahu
मन जिस ओर चला ।
समुद्र से भी गहरी
हैं मन की गहराई
क्या चाँद से बनती भी
हैं सुंदर कोई परछाई
मन जैसा देखा
वैसा पाया
यही तो हैं
चमत्कारी माया
पक्षी कौन सी हैं
इस पिंजरे में
जान लिया होता तो
मिल जाता
मुक्ति का मार्ग
मिल जाता
स्वर्ग सा संसार
पर किसने देखा
इन पंछियों को ।
पुर्ण कल्पना से भरा
यह कुँआ हैं मन का
मन की आंधी हैं चली
सूर्य की किरणों से ज्यादा
पता नही किस ओर जाए
जल्दी चल कही रात्रि न हो जाए
न भोर का इंतजार कर
उस क्षितिज के पार चल
खुश रहूँगा मैं वहाँ
मन की शांति हैं जहाँ ।
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