Ankhon Se Dil Tak - आंखों से दिल तक Hindi Poem on "from eyes to heart" written by Amrit Sahu
आंखों से दिल तक
देखा जब तुमको तो लगा जैसे
गलियों में तेरा ही शोर
भूल जाता हूं अपनी डगर
चला आता हूं तेरी ओर
देखना चाहूं मैं दिनभर तुम्हें
पर देख पाता हूं सिर्फ एक बार
छुपाती हो मुझसे तुम
लेकिन करती हो मेरा इंतजार
ये दुनिया ना जाने
क्या-क्या तुमको कह रही
शायद तुमसे इश्क है इसलिए तेरी कमी
हल्की धुंधली दिख रही
तभी तो अलग प्रतिमा है मन में
इस नयन में उस गगन में
तू सदा वही है
न डरी है न सहमी
दुनिया की बातों से
नहीं हुई है तू कभी जख्मी
मैंने सुख पाया दुख पाया
हरदम मुझे मिले आनंद की छाया
हजारों आए हजारों गए
पर तू ही मेरे दिल लिए ठहरी रही
तेरी पलकें जो झुकी रही
तुम मेरे लिए ही रुकी रही
चुपके चुपके आती है
कुछ कहने को
सोचता हूं ना जाने कब कहेगी
अपने दिल में मुझे रहने को
आंखों से तो रोज कहती हो
पर कब दिल की बात होठों से कहोगी
चाहे हां कहो या ना कहो पर
हरदम तुम मेरे दिल में रहोगी
कवि :- अमृत साहू
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