Barsaat Ke Din Me - Hindi Poem on "on a rainy day" written by Amrit Sahu
बरसात के दिन में (Hindi poem on rain)
यह कविता वर्षा ऋतु के बारे में है जिसमे इसके द्वारा बनने वाले सुंदर दृश्य का वर्णन किया गया हैl दूसरी ओर इसके उग्र रूप अर्थात बाढ़ के बारे में हैं कि इससे काफी जान माल की हानि होती हैl भले ही कम वर्षा मुझे आनंद देती है परंतु बाढ़ के बारे में सोचने पर ही कुछ अजीब तथा भयानक लगता हैl
बरसात के दिन में
अंधियारा बहुत छाया है
मेंढक की टर्र - टर्र ने
कोलाहल मचाया है
बरस रहे हैं बादल
गरज रहे हैं बादल
बरसात के दिन में
बिजली नहीं आई है
संगीत की नई दुनिया
ठंडी हवा साथ लाई है
ना जाने कैसा दर्द है
पंछियों की आवाज में
या फिर पूछ रही है
कोई जवाब हमसे
लगता है कोई नहीं जग में
मैं हूं बिल्कुल अकेला
सूर्य छिप गया नभ में
फिर भी है खुशियों का मेला
किसान पहले तरस रहे थे
जेठ की उमस भरी शाम
पर आज बादल बरस रहे हैं
बिजली बार-बार चमक रही है
कभी उजाला कभी अंधेरा
देखो मिट्टी महक रही है
कभी रात तो कभी सवेरा
हरे हरे वृक्ष हो गए हैं
उनमें भी अब जान आई
कलियों ने नई पहचान पाई
खेत खलिहान की बात निराली
आंखों में भर आया पानी
याद जब आया कि मैंने
हो रही थी जब बरसात
कि रोज जोरों से बरसे यह बादल
क्योंकि मेरे लिए सिर्फ यह
खुशियों का मेला है
पर भूल गया क्यों मैं
की बाढ़ की वजह से
कितनो ने दुख झेला है
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