कहीं तो होगी वो hindi romantic poetry by amrit sahu
कहीं तो होगी वो Hindi romantic poem by amrit sahu
कहीं तो होगी वो
जिसे मैं ढूंढता हूं
अकेले में मुस्कुराता हुआ
जिसे मैं सोचता हूं
लगता है यह केवल ख्वाब है
कली थी पहले जो
पर अब खिला गुलाब है
मुस्कुराती हुई वह लड़की
उसका ना कोई जवाब है
कहीं तो होगी वो
जिसे मैं ढूंढता हूं
काल्पनिक कहानी में खोया हुआ
सपने जिसके मैं बुनता हूं
मन में मेरी कितनी खूबसूरत विचार है
सादगी में जरूरत है जितनी
किये उसने उतने सिंगार है
सुंदर सी लड़की है वो
जिसकी आंखों में बेहद प्यार है
कहीं तो होगी वो
जिसे मैं ढूंढता हूं
आंखों में उसका चेहरा लिए
रोज से मैं घूमता हूं
मचलते तरंग सी चीज की चाल है
चेहरे में वह चमक और
काले घने बादल से बाल हैं
शायद उसे मालूम नहीं
गुजर गए यूं ही कितने साल है
कोई जाकर कहदे उससे
उसके बिना मेरा क्या हाल है
कहीं तुम ही तुम नहीं वो
जिसे मैं ढूंढता हूं
और तुम्हारे बारे में सोचकर
खुश उसे गुनगुनाता हुआ
उमंग से मैं झूमता हूं
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