भजन से पहले भोजन-Motivational Story In Hindi
Motivational Story In Hindi – भजन से पहले भोजन
वृंदावन के एक आश्रम में संकीर्तन का कार्यक्रम चल रहा था । हरि बाबा घंटा बजाकर ‘हरिबोल – हरिबोल’ की ध्वनि के बीच मस्त होकर झूम रहे थे। विरक्त संत उड़िया बाबा स्वयं भगवत् नाम के संकीर्तन का आनंद ले रहे थे।
अचानक चार-पाँच व्यक्ति वहाँ पहुँचे। उन्हें देखते ही उड़िया बाबा समझ गए कि ये लोग बीमार और भूखे हैं। शायद कई दिनों से उन्हें भोजन प्राप्त न हुआ हो ।
उनकी दयनीय स्थिति देखकर बाबा की आँखों से आँसू निकलने लगे। वह एकाएक संकीर्तन से उठे और उन भूखे बीमार दरिद्रों को लेकर आश्रम में चले गए और एक सेवक से बोले, ‘इन सबको कमरे में बिठाकर भोजन कराओ। ‘
उन्होंने स्वयं अपने हाथों से उनको भोजन परोसा तथा प्रेम से भरपेट खिलाया। बाबा ने एक वैद्य को संकेत कर उन्हें दवा भी दिलवाई और उनके लिए वस्त्रों की व्यवस्था कराई।
हरि बाबा इस बात से हतप्रभ हो उठे थे कि उड़िया बाबा पहली बार संकीर्तन बीच में छोड़कर वहाँ से क्यों गए। उन्हें यह बहुत आश्चर्यजनक लग रहा था। वे उनके पास पहुँचे और पूछा, ‘बाबा, आपने ऐसा क्यों किया?’
उड़िया बाबा उनसे बोले, ‘भजन व संकीर्तन आदि तभी सार्थक होते हैं, जब उपस्थित लोगों में से कोई भी भूखा प्यासा न हो। ये लोग भूखे थे और मैंने इन्हें भोजन कराकर तृप्त कराया है। ‘ उड़िया बाबा उठे और पुनः संकीर्तन स्थल पर पहुँचकर संकीर्तन का आनंद लेने लगे।
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