Lehron se darkar hindi poem - लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती (हिन्दी कविता)
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती
[यह कविता आपके मन में उत्साह भर देगी और आप बार बार असफल होने के बावजूद प्रयास करना नहीं छोड़ेंगे और अंततः सफलता आपके कदम चूमेगी। इसी विश्वास के साथ प्रस्तुत है कविता]
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर सौ सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना नहीं अखरता है।
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाते हैं,
जा जा कर गहरे पानी में खाली लौट आते हैं।
मिलते ना मोती सहज ही गहरे पानी में,
बढ़ता दूना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
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