Do ghade ki kahani - दो घड़े की कहानी hindi moral story
Do ghade ki kahani - दो घड़े की कहानी hindi moral story
Moral story in hindi - Do Ghade ( Two pots story)
आज हम आपको दो घड़े की कहानी बताने जा रहे हैं जो सिर्फ कहानी नहीं बल्कि इसमें जीवन से जुड़ी सच्चाई छुपी है, तो चलिए दोस्तो कहानी की शुरुआत करते हैं (do ghade moral story in hindi)
नदी किनारे एक छोटा सा गाँव बसा हुआ था | नदी, गाँव के लोगों के लिए पानी का प्रमुख श्रोत थी | लेकिन जब बरसात का मौसम आया और गाँव में कई दिनों तक घनघोर बारिश हुई, तो नदी में बाढ़ आ गई | बाढ़ का पानी पूरे गाँव में भर गया | मकान पानी में डूब गए, और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भागना पड़ा|
बाढ़ के पानी में लोगों के घरों की कई चीज़ें बहने लगी. उनमें दो घड़े भी थे | एक पीतल का घड़ा था और एक मिट्टी का | दोनों ही घड़े पानी में ख़ुद को बचाने का प्रयत्न कर रहे थे | पीतल के कठोर और मजबूत घड़े ने जब मिट्टी के कमज़ोर घड़े को संघर्ष करते देखा, तो सोचने लगा कि मिट्टी का ये कमज़ोर घड़ा आखिर कब तक ख़ुद को डूबने से बचा पायेगा? मुझे इसकी सहायता करनी चाहिए |
उसने मिट्टी के घड़े से कहा, “मित्र सुनो, तुम मिट्टी के बने हुए हो और बहुत कमज़ोर हो | बाढ़ के इस पानी में तुम अधिक दूर तक नहीं जा पाओगे और डूब जाओगे | मेरी बात मानो और मेरे साथ रहो | मैं तुम्हें डूबने से बचा लूंगा ”|
मिट्टी के घड़े ने पीतल के घड़े को देखा और उत्तर दिया, “मित्र! तुम्हारी सहायता के प्रस्ताव के लिए धन्यवाद. लेकिन मेरा तुम्हारे आस-पास रहना मेरे सलामती के लिए उचित नहीं है | तुम ठहरे पीतल के बने घड़े और मैं मिट्टी का घड़ा. तुम बहुत कठोर और मजबूत हो | अगर तुम मुझसे टकरा गए, तो मैं तो चकनाचूर हो जाऊंगा इसलिए तुमसे दूर रहने में ही मेरी भलाई है | मैं स्वयं ही ख़ुद को बचाने का प्रयास करता हूँ और भगवान ने चाहा, तो किसी तरह किनारे तक पहुँच ही जाऊँगा”|
इतना कहने के बाद मिट्टी का घड़ा दूसरी दिशा में बहने का प्रयत्न करने लगा और धीरे-धीरे पानी के बहाव के साथ नदी किनारे पहुँच गया | वहीं दूसरी ओर पीतल का भारी घड़ा भी प्रयत्न करता रहा, लेकिन नदी के पानी के तेज बहाव में ख़ुद को संभाल नहीं पाया | उसमें पानी भर गया और वह डूब गया |
सीख (Moral of the story)
विपरीत गुणों की अपेक्षा एक समान गुण वाले अच्छी मित्रता कायम कर पाते हैं|
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