Kuno national park bad news, female tiger Sasha suffering from kidney damage:चार महीने पहले नामीबिया से आई मादा चीता Sasha की किडनी डैमेज
Kuno national park bad news, female tiger Sasha suffering from kidney damage:चार महीने पहले नामीबिया से आई मादा चीता Sasha की किडनी डैमेज
Kuno National Park से आई बुरी खबर, चार महीने पहले नामीबिया से आई मादा चीता Sasha की किडनी डैमेज
कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाई गई एक मादा चीता को किडनी इन्फेक्शन हो गया है. उसका इलाज चल रहा है. उसे क्वारनटीन बाड़े में शिफ्ट किया गया है. भोपाल के पशु चिकित्सक मादा चीता का इलाज कर रहे हैं. पार्क में इलाज संबंधी सभी जरूरी व्यवस्थाएं कर दी गई हैं. बाकी चीते स्वस्थ हैं.
कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) की एक मादा चीता बीमार है. उसका नाम साशा (Sasha Cheetah) है. पार्क के डीएफओ प्रकाश कुमार वर्मा ने कहा कि मादा चीता कुछ समय से थकी हुई और कमजोर दिख रही थी. तत्काल उसे क्वारनटीन बाड़े में ले जाया गया. जहां भोपाल से आए पशु चिकित्सकों से जांच कराई गई. पता चला कि उसके किडनी में इन्फेक्शन है. और वह पूरी तरह से डिहाइड्रेट हो गई थी.
डीएफओ ने बताया कि बाकी सभी चीते स्वस्थ हैं. भोपाल से आए डॉक्टर चीता का इलाज कर रहे हैं. इलाज संबंधी बाकी व्यवस्थाएं कर ली गई हैं. हालांकि DTE में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार साशा की किडनी खराब हो रही है. यह कोई साधारण संक्रमण नहीं है. चीतों के साथ अक्सर ऐसा होता है कि उनके अंग काम करना बंद कर देते हैं.
साशा को अगर तरल पदार्थों पर भी रखा जाए तो उसके बचने की उम्मीद बहुत कम है. पांच साल की मादा चीता साशा को नामीबिया के गोबाबिस के पास मिली थी. ये बात साल 2017 की है. तब वह बेहद कमजोर और कुपोषित थी. बाद में उसे जंगल के आसपास रहने वाले किसान ले आए थे. जब तक वह छोटी थी, तब तक गांव वालों ने उसका ख्याल रखा. उसके बाद चीता कंजरवेशन फंड ने जनवरी 2018 में इसे नामीबिया सेंटर में शिफ्ट किया गया.
इस सेंटर में उसका ज्यादा बेहतर ख्याल रखा गया. उसके बाद साशा को उन आठ चीतों के बैच में शामिल किया गया, जो भारत आने वाले थे. ऐसा पहली बार हुआ था जब किसी एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप पर किसी बड़ी बिल्ली को शिफ्ट किया गया था. पीसीसीएफ जेएस चौहान ने बताया कि करीब चार दिन पहले साशा बाकी चीतों की तुलना में थकी हुई और कमजोर दिख रही है. इसके बाद उसे तुरंत क्वारनटीन बाड़े में शिफ्ट किया गया. फिर इलाज शुरू हुआ.
तीन डॉक्टर्स उसके इलाज में लगे हैं, जो लगातार पर्यावरणविद वाईवी झाला और नामीबिया के चीता कंजरवेशन फंड के एक्सपर्ट से सलाह ले रहे हैं. भोपाल के हमीदिया अस्पताल के एक्सपर्ट और पशु चिकित्सक साशा का ख्याल रख रहे हैं. उसका इलाज कर रहे हैं. जैसा भी पशु चिकित्सक कहेंगे वैसा किया जाएगा. उसके सारे टेस्ट कराए जाएंगे.
फिलहाल साशा को नरम खाना दिया जा रहा है. ताकि वह आसानी से पच सकें और खराब तबियत के दौरान पोषण भी मिले. एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर वह बच भी गई तो अधिकतम साल भर ही जी पाएगी. बाकी सातों चीते पांच वर्ग किलोमीटर के बाड़े में हैं. उन्हें जल्द ही जंगल में छोड़ने की तैयारी है.
17 सितंबर 2022 को चीतों को नामीबिया के हुशिया कोटाको इंटरनेशनल एयरपोर्ट से लाया गया था. इन्हें लाने के लिए विशेष बोईंग 747 विमान भेजा गया था. इस विमान को चीतों के लिए मॉडिफाई किया गया था. विमान की नाक पर चीते की पेंटिंग बनाई थी. नेशनल पार्क में इन चीतों के रहने की विशेष व्यवस्था की गई थी. देखरेख करने वाले स्टाफ को विशेष ट्रेनिंग दी गई थी.
इन 8 चीतों में साढ़े पांच साल के दो नर, एक साढ़े 4 साल का नर, ढाई साल की एक मादा, 4 साल की एक मादा, दो साल की एक मादा और 5 साल की दो मादा चीता शामिल थे. इन चीतों को नामीबिया के अलग-अलग इलाकों से खोजा गया था. इस पूरे मिशन की देखरेख के लिए भारत और नामीबिया सरकार की ओर से एक्सपर्ट टीम गठित की थी.
इस टीम में नामीबिया में भारत सरकार के राजदूत प्रशांत अग्रवाल, प्रोजेक्ट चीता के मुख्य वैज्ञानिक डॉक्टर झाला यादवेंद्र देव, पर्यावरण मंत्रालय से डॉ. सनत कृष्णा मूलिया और वित्त मंत्रालय के रेवेन्यू विभाग से कस्टम अधिकारी अनीश गुप्ता थे. नामीबिया से सीसीएफ के फाउंडर डॉ. लोरी मारकर, चीता स्पेशलिस्ट एली वॉकर, डेटा मैनेजर बार्थेलामी आरसीसीएफ में अधिकारी डॉ. एना बेस्टो इसका हिस्सा थीं.
बोईंग 747 जंबोजेट में पिंजरे को रखने की व्यवस्था की गई थी. पिंजरे विमान के विशेष हिस्से में थे. साथ ही इस विमान पर सवार डॉक्टर और एक्सपर्ट इनकी देखभाल करते हुए आए थे. यह अल्ट्रा long-range का विशेष जेट विमान है. जो लगातार 16 घंटे उड़ सकता है.
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