Akbar and Birbal hindi stories : अकबर-बीरबल की कहानियां
Akbar and Birbal hindi stories : अकबर-बीरबल की कहानियां
जब भी बुद्धिमत्ता, चतुराई और हाजिर-जवाबी की बात होती है, तो सबसे पहला नाम बीरबल का आता है। वहीं, अकबर-बीरबल की जुगलबंदी किसी से छुपी नहीं है। ऐसा कहा भी जाता है कि बीरबल को बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक अनमोल रत्न माना जाता था। अकबर-बीरबल से जुड़ी ऐसी कई कहानियां हैं, जो हर किसी को गुदगुदाती हैं। साथ ही एक खास सीख भी दे जाती हैं।अकबर-बीरबल की कहानियां हमेशा से सभी के लिए प्रेरणादायक रही हैं। बीरबल ने अपनी चतुराई और बुद्धिमता से कई बार बादशाह अकबर के दरबार में आए पेचीदा मामलों को सुलझाया। साथ ही बादशाह अकबर की ओर से दी गई चुनौतियों को सहर्ष स्वीकार कर, उनका हल निकाला। बेशक, ये किस्से-कहानियां सदियों पुरानी हैं, लेकिन वर्तमान में भी इनका महत्व कायम है। अगर आप अपने बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने चाहते हैं या उसे यह सिखाना चाहते हैं कि कैसे हर समस्या का हल शांत रहकर व दिमाग का इस्तेमाल करके किया जा सकता है, तो अकबर-बीरबल की कहानियों से बेहतर कुछ नहीं है। हमारे कहानियों के इस भाग में पढ़िए अकबर-बीरबल के वो किस्से और कहानियां, जो बच्चों के जीवन को सही दिशा देंगे।
अकबर-बीरबल की कहानियां, Akbar -Birbal stories in hindi
1 अकबर-बीरबल की कहानी: सबसे बड़ी चीज | Sansar Me Sabse Badi Cheez Story In Hindi
एक बार की बात है, बीरबल दरबार में मौजूद नहीं थे। इसी बात का फायदा उठा कर कुछ मंत्रीगण बीरबल के खिलाफ महाराज अकबर के कान भरने लगे। उनमें से एक कहने लगा, “महाराज! आप केवल बीरबल को ही हर जिम्मेदारी देते हैं और हर काम में उन्हीं की सलाह ली जाती है। इसका मतलब यह है कि आप हमें अयोग्य समझते हैं। मगर, ऐसा नहीं हैं, हम भी बीरबल जितने ही योग्य हैं।”
महाराज को बीरबल बहुत प्रिय थे। वह उनके खिलाफ कुछ नहीं सुनना चाहते थे, लेकिन उन्होंने मंत्रीगणों को निराश न करने के लिए एक समाधान निकाला। उन्होंने उनसे कहा, “मैं तुम सभी से एक प्रश्न का जवाब चाहता हूं। मगर, ध्यान रहे कि अगर तुम लोग इसका जवाब न दे पाए, तो तुम सबको फांसी की सजा सुनाई जाएगी।”
दरबारियों ने झिझक कर महाराज से कहा, “ठ.. ठीक है महाराज! हमें आपकी ये शर्त मंजूर है, लेकिन पहले आप प्रश्न तो पूछिए।”
महाराज ने कहा, “दुनिया की सबसे बड़ी चीज़ क्या है?”
यह सवाल सुनकर सभी मंत्रीगण एक दूसरे का मुंह ताकने लगे। महाराज ने उनकी ये स्थिति देख कर कहा, “याद रहे कि इस प्रश्न का उत्तर सटीक होना चाहिए। मुझे कोई भी अटपटा सा जवाब नहीं चाहिए।”
इस पर मंत्रीगणों ने राजा से इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए कुछ दिनों की मोहलत मांगी। राजा भी इस बात के लिए तैयार हो गए।
महल से बाहर निकलकर सभी मंत्रीगण इस प्रश्न का उत्तर ढूंढने लगे। पहले ने कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी चीज़ भगवान है, तो दूसरा कहने लगा कि दुनिया की सबसे बड़ी चीज भूख है। तीसरे ने दोनों के जवाब को नकार दिया और कहा कि भगवान कोई चीज नहीं है और भूख को भी बर्दाश्त किया जा सकता है। इसलिए राजा के प्रश्न का उत्तर इन दोनों में से कोई नहीं है।
धीरे-धीरे समय बीतता गया और मोहलत में लिए गए सभी दिन भी गुजर गए। फिर भी राजा द्वारा पूछे गए प्रश्न का जवाब न मिलने पर सभी मंत्रीगणों को अपनी जान की फिक्र सताने लगी। कोई अन्य उपाय न मिलने पर वो सभी बीरबल के पास पहुंचे और उन्हें अपनी पूरी कहानी सुनाई। बीरबल पहले से ही इस बात से परिचित थे। उन्होंने उनसे कहा, “मैं तुम्हारी जान बचा सकता हूं, लेकिन तुम्हें वही करना होगा जैसा मैं कहूं।” सभी बीरबल की बात पर राजी हो गए।
अगले ही दिन बीरबल ने एक पालकी का इंतजाम करवाया। उन्होंने दो मंत्रीगणों को पालकी उठाने का काम दिया, तीसरे से अपना हुक्का पकड़वाया और चौथे से अपने जूते उठवाये व स्वयं पालकी में बैठ गए। फिर उन सभी को राजा के महल की ओर चलने का इशारा दिया।
जब सभी बीरबल को लेकर दरबार में पहुंचे, तो महाराज इस मंजर को देख कर हैरान थे। इससे पहले कि वो बीरबल से कुछ पूछते, बीरबल खुद ही राजा से बोले, “महाराज! दुनिया की सबसे बड़ी चीज ‘गरज’ होती है। अपनी गरज के कारण ही ये सब मेरी पालकी को उठा कर यहां तक ले आए हैं।”
यह सुन महाराज मुस्कुराये बिना न रह सके और सभी मंत्रीगण शरम के मारे सिर झुकाए खड़े रहे।
कहानी से सीख –
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी किसी की योग्यता से जलना नहीं चाहिए, बल्कि उससे सीख लेकर खुद को भी बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए।
अकबर-बीरबल की कहानियां Akbar -Birbal hindi storeis
2 अकबर-बीरबल: हरे घोड़े की कहानी | Green Horse Story In Hindi
एक शाम राजा अकबर अपने प्रिय बीरबल के साथ अपने शाही बगीचे की सैर के लिए निकले। वह बगीचा बहुत ही शानदार था। चारों ओर हरियाली ही हरियाली थी और फूलों की भीनी भीनी खुशबू वातावरण को और भी खूबसूरत बना रही थी।
ऐसे में राजा को जाने क्या सूझा कि उन्होंने बीरबल से कहा, “बीरबल! हमारा मन है कि इस हरे भरे बगीचे में हम हरे घोड़े में बैठ कर घूमें। इसलिए मैं तुम्हें आदेश देता हूं कि तुम सात दिनों के अंदर हमारे लिए एक हरे घोड़े का इंतजाम करो। वहीं अगर तुम इस आदेश को पूरा करने में असफल रहते हो, तो तुम कभी भी मुझे अपनी शक्ल न दिखाना।”
इस बात से राजा व बीरबल दोनों वाकिफ थे कि आज तक दुनिया में हरे रंग का घोड़ा नहीं हुआ है। फिर भी राजा चाहते थे कि बीरबल किसी बात में अपनी हार स्वीकार करें। इसी कारण उन्होंने बीरबल को ऐसा आदेश दिया। मगर, बीरबल भी बहुत चालाक थे। वो भली भांति जानते थे कि राजा उनसे क्या चाहते हैं। इसलिए वो भी घोड़ा ढूंढने का बहाना बनाकर सात दिनों तक इधर-उधर घूमते रहे।
आठवें दिन बीरबल दरबार में राजा के सामने पहुंचे और बोले, “महाराज! आपकी आज्ञा के अनुसार मैंने आपके लिए हरे घोड़े का इंतजाम कर लिया है। मगर, उसके मालिक की दो शर्तें हैं।”
राजा ने उत्सुकता से दोनों शर्तों के बारे में पूछा। तब बीरबल ने जवाब दिया, “पहली शर्त यह है कि उस हरे घोड़े को लाने के लिए आपको स्वयं जाना होगा।” राजा इस शर्त के लिए तैयार हो गए।
फिर उन्होंने दूसरी शर्त के बारे में पूछा। तब बीरबल ने कहा, “घोड़े के मालिक की दूसरी शर्त यह है कि आपको घोड़ा लेने जाने के लिए सप्ताह के सातों दिन के अलावा कोई और दिन चुनना होगा।”
यह सुन राजा हैरानी से बीरबल की ओर देखने लगे। तब बीरबल ने बड़ी सहजता से जवाब दिया, “महाराज! घोड़े का मालिक कहता है कि हरे रंग के खास घोड़े को लाने के लिए उसकी यह खास शर्तें तो माननी ही होंगी।”
राजा अकबर बीरबल की यह चतुराई भरी बात सुनकर खुश हो गए और मान गए कि बीरबल से उसकी हार मनवाना वाकई में बहुत मुश्किल काम है।
कहानी से सीख –
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सही सूझबूझ और समझदारी के साथ नामुमकिन लगने वाले काम को भी आसानी से किया जा सकता है।
Akbar and Birbal stories in hindi
3 अकबर-बीरबल की कहानी: जोरू का गुलाम | Joru Ka Gulam Story In Hindi
एक बार की बात है, राजा अकबर व बीरबल दरबार में बैठे कुछ अहम मामलों पर चर्चा कर रहे थे। तभी बीरबल ने अकबर से कहा, “मुझे लगता है कि ज्यादातर पुरुष जोरू के गुलाम होते हैं और अपनी पत्नियों से डर कर रहते हैं।” बीरबल की यह बात राजा को बिल्कुल भी पसंद न आई। उन्होंने इस बात का विरोध किया।
इस पर बीरबल भी अपनी बात मनवाने पर अड़ गए। उन्होंने राजा से कहा कि वे अपनी बात को सिद्ध कर सकते हैं। मगर, इसके लिए राजा को प्रजा के बीच एक आदेश जारी करवाना होगा। वह आदेश यह था कि, जिस पुरुष के अपनी पत्नी से डरने की बात सामने आएगी, उसे दरबार में एक मुर्गी जमा करानी होगी। राजा बीरबल की इस बात पर तैयार हो गए।
अगले ही दिन प्रजा के बीच आदेश कराया गया कि अगर यह बात सिद्ध हो जाती है कि कोई पुरुष अपनी पत्नी से डरता है, तो उसे दरबार में आकर बीरबल के पास एक मुर्गी जमा करवानी होगी। फिर क्या था, देखते ही देखते बीरबल के पास ढेरों मुर्गियां इकठ्ठा हो गईं और सैंकड़ों मुर्गियां महल के बगीचे में घूमने लगीं।
अब बीरबल राजा के पास पहुंचे और बोले, “महाराज! महल में इतनी मुर्गियां इकट्ठा हो गई हैं कि आप एक मुर्गीखाना खोल सकते हैं, इसलिए अब आप इस आदेश को वापिस ले सकते हैं।” मगर, महाराज ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया और महल में मुर्गियों की संख्या धीरे-धीरे और भी ज्यादा बढ़ने लगी।
इतनी अधिक मुर्गियां महल में जमा हो जाने के बाद भी जब राजा अकबर बीरबल की बात से सहमत नहीं हुए, तो बीरबल ने अपनी बात सिद्ध करने के लिए एक नया उपाय निकाला। एक दिन बीरबल राजा के पास गए और बोले, “महाराज! मैंने सुना है कि पड़ोस के राज्य में एक बहुत की खूबसूरत राजकुमारी रहती है। अगर आप चाहें, तो क्या मैं आपका रिश्ता वहां पक्का कर आऊं?”
यह सुनते ही राजा चौंक उठे और बोले, “बीरबल! तुम ये कैसी बातें कर रहे हो। महल में पहले से ही दो महारानियां मौजूद हैं। अगर उन्हें इस बात की भनक भी लगी, तो मेरी खैर नहीं होगी।”
यह सुनकर बीरबल ने तपाक से जवाब दिया, “चलिए महाराज, फिर तो आप भी मेरे पास दो मुर्गियां जमा करा ही दीजिए।”
राजा बीरबल का ऐसा जवाब सुनकर शरमा गए और उन्होंने अपना आदेश उसी वक्त वापस ले लिया।
कहानी से सीख –
अकबर बीरबल की इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि बातों की चतुराई से हम किसी भी बात को मनवा सकते हैं। जरूरत है, तो बस बीरबल की तरह चतुराई से अपना पक्ष रखने की।
अकबर-बीरबल की कहानियां Akbar Birbal kahaniya
4 अकबर-बीरबल की कहानी: सबसे बड़ा हथियार | Sabse Bada Hathiyar Story In Hindi.
बादशाह अकबर कामकाज के अलावा भी कई चीजों के बारे में बीरबल से बातचीत किया करते थे। ऐसे ही बैठे-बैठे एक दिन बादशाह ने बीरबल से पूछा कि इस दुनिया में सबसे बड़ा हथियार तुम्हारे हिसाब से कौन-सा होता है?
इस बात के जवाब में बीरबल ने कहा कि संसार में आत्मविश्वास से बड़ा हथियार कुछ और नहीं हो सकता है। यह बात अकबर के समझ में नहीं आई, लेकिन फिर भी उन्होंने कुछ नहीं कहा। उनके मन में हुआ कि समय आने पर इस बात की परख की जाएगी।
कुछ दिनों बाद राज्य में एक हाथी बेकाबू हो गया। पता करने पर समझ आया कि वो पागल हो गया है। उसे कर्मचारियों ने जंजीरों से जकड़ लिया था। इसकी खबर जैसे ही बादशाह को पहुंची, तो उन्होंने सीधे महावत से कहा कि जब भी तुम्हें बीरबल आता दिखे तो हाथी की जंजीरों को खेल देना।
यह सुनकर महावत हैरान हो गया, लेकिन बादशाह का आदेश था, इसलिए सिर झुकाकर चला गया।
अब अकबर ने बीरबल को महावत के पास जाने के लिए कहा। महावत ने भी बादशाह के आदेश का पालन करते हुए बीरबल को आते देख हाथी को जंजीरों से मुक्त कर दिया। बीरबल को इस बात की खबर नहीं थी, इसलिए वो आराम से चल रहे थे। तभी उनकी नजर चिंघाड़ते हुए हाथी पर पड़ी। जैसे ही उन्होंने देखा कि हाथी उनकी ही तरफ आ रहा है। वो कुछ समझ नहीं पाए।
कुछ ही देर में उनके दिमाग में हुआ कि बादशाह ने मेरी आत्मविश्वास वाली बात को परखने के लिए ही इस हाथी को मेरे पीछे छोड़ने का आदेश दिया होगा। अब बीरबल इधर-उधर भागने की सोच रहे थे, लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं पाया। सामने से हाथी आ रहा था और अगल-बगल में भागकर जाने की जगह नहीं थी।
इतने में हाथी बीरबल के काफी करीब पहुंच गया। तभी बीरबल ने सामने एक कुत्ते को देखा और उसे टांगों से पकड़कर हाथी की तरफ फेंक दिया। कुत्ते चीखते हुए हाथी से टकराया। उसकी ऐसी चीखें सुनकर हाथी वापस उल्टी दिशा में भागने लगा।
कुछ ही देर में इस बारे में बादशाह अकबर को पता चला, तब जाकर उन्होंने माना कि आत्मविश्वास ही मनुष्य का सबसे बड़ा हथियार है।
कहानी से सीख :
हर किसी की बात पर यूं ही भरोसा नहीं कर लेना चाहिए। बात की जांच और परख करना जरूरी है। दूसरी सीख यह है कि इंसान समय से पहले उम्मीद न छोड़े, तो परेशानी से बाहर निकला जा सकता है।
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