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Chandrayaan -3 moon mission 2023 of India: इसरो का चंद्रयान -3 मिशन 2023 मे होगा लॉन्च।

 Chandrayaan -3 moon mission 2023 of India: इसरो का चंद्रयान -3 मिशन 2023 मे होगा लॉन्च। 

Chandrayaan -3 moon mission 2023 of India: इसरो का चंद्रयान -3 मिशन 2023 मे होगा लॉन्च।


टेक्नॉलजी वॉर में तमाम देशों के बीच होड़ सी लगी है। सब स्पेस में अपने लिए मैदान ढूंढने में लगे हैं। अमेरिका को पीछे छोड़ने के लिए चीन भी जी तोड़ मेहनत करने में जुटा है, इसलिए उसने भी स्पेस मिशन की घोषणा की है।

तो चलिए सबसे पहले पांच पॉइंट में जानते हैं, क्या है चंद्रयान-3 की तैयारी, क्योंकि इसी मिशन को सबसे पहले 2023 में भारत लॉन्च करने जा रहा है।

1. क्या है चंद्रयान-3 मिशन?

चंद्रयान-3 मिशन, चंद्रयान-2 का उत्तराधिकारी मिशन है। चंद्रयान-2 का उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक रोवर को उतारना था। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के अध्यक्ष एस सोमनाथ के मुताबिक चंद्रयान -3 (Chandrayaan-3) अधिक मजबूत चंद्र रोवर के साथ उड़ान भरेगा, जो भविष्य के अंतर-ग्रहीय खोज के लिए बेहद अहम है। चंद्रयान-3 (सी-3) की लॉन्चिंग जियोसिंक्रोनस लॉन्च वीकल मार्क-III (जीएसएलवी एमके-III) से होगी।

2. पहले से कितना अलग होगा चंद्रयान मिशन?

अंतरिक्ष एजेंसी प्रमुख का कहना है कि चंद्रयान -3 रोवर अपने पुराने चंद्रयान-2 की कॉपी नहीं है। इसमें रोवर है। इंजीनियरिंग काफी अलग है। हमने इसे और अधिक मजबूत बनाया है, ताकि पिछली बार की तरह समस्या न हो। इस बार कई बदलाव किए गए हैं। इम्पैक्ट लैग्स मजबूत हैं। इसमें बेहतर उपकरण होंगे। रोवर को विकसित किया जा रहा है ताकि यात्रा की जाने वाली ऊंचाई की गणना करने, खतरे से मुक्त स्थानों की पहचान करने के लिए अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल किया जा सके और इसमें बेहतर सॉफ्टवेयर होगा।

3. क्या होगा इस मिशन का हासिल?

सितंबर 2019 में चंद्रयान-2 मिशन के दौरान लैंडर ‘विक्रम’चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हालांकि, ऑर्बिटर अभी भी काम कर रहा है। चंद्रयान 3 मिशन के अंतर्गत भेजे जाने वाले लैंडर में करीब 4 थ्रोटल इंजन को शामिल किया गया है, जिसका इस्तेमाल लैंडर को सतह पर उतारने के लिए किया जाएगा। अब तक भारत ने किसी दूसरे ग्रह या उसके उपग्रह पर कोई रोवर लैंड नहीं करवाया है। चंद्रयान 3 हमारे इसी सपने को पूरा करेगा। ये मिशन इसरो के आने वाले कई दूसरे बड़े मिशन्स के लिए रास्तों को खोलेगा।

अभी तक अमेरिका, रूस और चीन को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैन्डिंग में सफलता मिली है। सॉफ्ट लैन्डिंग का मतलब होता है कि आप किसी भी सैटलाइट को किसी लैंडर से सुरक्षित उतारें और वो अपना काम सुचारू रूप से कर सके। चंद्रयान-2 को भी इसी तरह चन्द्रमा की सतह पर उतारना था, लेकिन आख़िरी क्षणों में संभव नहीं हो पाया। दुनिया भर के 50 फ़ीसदी से भी कम मिशन हैं जो सॉफ्ट लैंडिंग में कामयाब रहे हैं।

4. चंद्रयान-3 कब किया जाएगा लॉन्च?

शुरुआती योजना 2022 की तीसरी तिमाही में मिशन को लॉन्च करने की थी। मगर किन्हीं कारणों से अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने साल 2023 के जून में चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण की योजना बनाई है। बताया जा रहा है कि इस मिशन में करीब 9,023 करोड़ रुपये का खर्च होगा।

5. भारत का पहला चंद्रयान कब लॉन्च हुआ, और उससे क्या मिला?

चंद्रमा की तरफ कूच करने वाला भारत का पहला अंतरिक्ष यान चंद्रयान-1 था। इस अभियान के तहत एक मानव रहित यान को 22 अक्टूबर, 2008 को चन्द्रमा पर भेजा गया और यह 30 अगस्त, 2009 तक एक्टिव रहा। इस यान को चन्द्रमा तक पहुंचने में 5 दिन लगे, लेकिन चन्द्रमा की कक्षा में स्थापित करने में 15 दिनों का समय लग गया। चंद्रयान का उद्देश्य चंद्रमा की सतह के नक्शे के साथ साथ पानी के अंश और हीलियम की तलाश करना था। चंद्रयान-1 ने चंद्रमा से 100 किमी ऊपर 525 किग्रा का एक उपग्रह ध्रुवीय कक्षा में स्थापित किया। इस उपग्रह ने अपने रिमोट सेंसिंग (दूर संवेदी) उपकरणों के जरिए चंद्रमा की ऊपरी सतह के चित्र भेजे। चन्द्रयान-1 के साथ भारत चांद पर यान भेजने वाला छठा देश बन गया था।

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