Christopher Columbus biography in hindi:कोलंबस की जीवनी।
Christopher Columbus biography in hindi:कोलंबस की जीवनी।
क्रिस्टोफर कोलम्बस (1451-1506) एक समुद्री-नाविक, उपनिवेशवादी, खोजी यात्री उसकी अटलांटिक महासागर में बहुत से समुद्री यात्राओं के कारण अमेरिकी महाद्वीप के बारे में यूरोप में जानकारी बढ़ी। यद्यपि अमेरिका पहुँचने वाला वह प्रथम यूरोपीय नहीं था किन्तु कोलम्बस ने यूरोपवासियों और अमेरिका के मूल निवासियों के बीच विस्तृत सम्पर्क को बढ़ावा दिया। उसने अमेरिका की चार बार यात्रा की जिसका खर्च स्पेन की रानी इसाबेला (Isabella) ने उठाया। उसने हिस्पानिओला (Hispaniola) द्वीप पर बस्ती बसाने की कोशिश की और इस प्रकार अमेरिका में स्पेनी उपनिवेशवाद की नींव रखी। इस प्रकार इस नयी दुनिया में यूरोपीय उपनिवेशवाद की प्रक्रिया आरम्भ हुई।
क्रिस्टोफर कोलंबस का जन्म इ.स. 1451 में जिनोआ में हुआ। उनके पिता जुलाहा थे। उन्हें दो भाई थे. बचपने कोलंबस पिताजी को उनके बिजनेस में मदत किया करते थे, लेकिन आगे उन्हें समुंदर का आकर्षण लगने लगा। अपने लगाव से और अभ्यास से उन्होंने नौकायन का ज्ञान प्राप्त किया। लॅटिन भाषा भी उन्हें अच्छे से आती थी। नौकायन का ज्ञान होने की वजह से उन्हें उत्तर की तरफ जानेवाली बोंट के साथ व्यापार के लिये जाने का मौका मिला। इंग्लंड, आयर्लड और आईसलॅड के 'थुले' इस जगह तक वैसेही आफ्रिका के पश्चिम के तरफ के अझोरेस, कॅनरी, केव व्हरडे इन बेंटो के साथ आफ्रिका के पश्चिम किनारे के गयाना तक उनका सफर हुआ।
उस समय में यूरोपियन व्यापारी उनके पास का माल भारत और आशिया खंड के बाजार में बेचा करते थे। और वापिस जाते समय वहा के मसालों के पदार्थ युरोप में लाकर बेचते थे। ये व्यापार जमीन के रास्ते से होता था। कॉन्स्टॅन्टी नेपाल ये शहर इस दुष्टिसे आशिया खंड का द्वार था। यहा से तुर्कस्थान, इराण, अफगनिस्तान के रास्ते से भारत में पहुचता था। सन 1453 में तुर्कानी ने कॉन्स्टॅन्टी नेपाल जित लिया और उन्होंने ये रास्ता यूरोपियन के लिये बंद किया। लेकीन तुर्की लोगों ने रास्ता बंद करने के वजह से यूरोपियन व्यापारियों के सामने बहोत बड़ी समस्या आयी।
भारत खोजने की इच्छा
कोलंबस ने पुर्तगाल के राजा जॉन द्वितीय के सामने भारत की खोज करने का प्रस्ताव रखा। दरअसल कोलंबस को लग रहा था कि, पुर्तगाल पूर्व में व्यापार और उपनिवेश की संभावनाओं को तलाश रहा है। कोलंबस की योजना को पुर्तगाल के विद्वानों ने असंभव करार देते हुए उसे सपनो में रहने की संज्ञा दे दी। लिहाजा कोलंबस स्पेन चला गया। कहते हैं इंतजार कभी-कभी इतना लंबा हो जाता है कि उम्मीदें डावांडोल हो जाती है। कोलंबस भी निराश हो रहा था, उसका धैर्य टूटने लगा था।
Biography of Christopher Columbus in hindi
कोलंबस की पहली समुद्री यात्रा
कोलंबस ने अपनी पहली यात्रा तीन अगस्त 1492 को स्पेन के पालोस बंदरगाह से शुरु की। उस दिन बंदरगाह की रंगत कुछ और ही थी। स्पेन के राजा-रानी समेत हजारों लोग उस दिन एक ऐसे अभियान को हरी झंडी दिखाने आये थे, जो अगर कामयाब हो जाता तो आने वाले सालों में पूरे स्पेन की किस्मत बदल सकता था। बंदरगाह पर जो जहाज निकले थे उनका नाम था:
सांता मारिया,
नीना, और
पेंटा
यात्रा के कई दिन बाद अचानक भयंकर तूफ़ान की वजह से कई नाविक घबरा गए और एक दिन दिशासूचक गलत दिशा दिखाने लगा तो स्थिती और बिगड़ गई। कोलंबस के कुछ साथी इतने गुस्से में आ गए कि उसे कहने लगे कि अगर उसने वापिस जाने का फैसला नहीं लिया तो वो उसे मार डालेंगे। पर कोलंबस ने किसी तरह उन्हें समझा-बुझाकर शांत किया और अगले तीन दिन तक और यात्रा करने के लिए कहा।
9 अक्तूबर 1492 को कोलंबस को आसमान में पक्षी दिखाई देने लगे और उसने जहाज़ों को उस दिशा में मोड़ने के लिए कहा जिस तरफ पक्षी जा रहे थे। लगातार आगे जाने पर उन्हें पेड़ के पत्ते और रंग बिरंगे फूल दिखाई देने लगे थे, जिसका मतलब साफ़ था कि आगे ज़मीन है।
12 अक्तूबर 1492 को कोलंबस ने ज़मीन पर पैर रखे, तो वो समझ रहे थे कि वो भारत पहुँच चुके है। पर असल में वो एक कैरेबीआई द्वीप पर पहुँचे थे। अगले कुछ हफ्तों में उन्होंने कई अन्य द्वीप खोज़ लिए और उन सभी को
मिलाकर, उन्हें भारत का हिस्सा समझ कर 'इंडीज़' नाम दिया।
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