Panchtantra stories in hindi: पंचतंत्र की शिक्षाप्रद कहानियां।
Panchtantra stories in hindi: पंचतंत्र की शिक्षाप्रद कहानियां।
पंचतंत्र की कहानियां Panchtantra stories in hindi
1) पंचतंत्र की कहानी: जादुई पतीला, Magical Pot hindi story
सालों पहले पीतल नगर में किशन नाम का एक किसान रहता था। वह गाँव के एक ज़मींदार के खेत पर काम करके किसी तरह अपना घर चला रहा था।
पहले किशन के भी खेत थे, लेकिन उसके पिता के बीमार होने के कारण उसे अपने सारे खेत बेचने पड़े। मज़दूरी में मिलने वाले पैसों से पिता का इलाज कराना और घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा था।
वो हर दिन सोचता कि कैसे घर की स्थिति को बेहतर किया जाए। आज भी इसी सोच के साथ किशन सुबह-सुबह ज़मींदार के खेत पर काम करने के लिए निकला।
खुदाई करते समय उसकी कुदाल किसी धातु से टकराई और तेज़ आवाज़ हुई। किशन के मन में हुआ कि आखिर ऐसा क्या है यहाँ? उसने तुरंत उस हिस्से को खोदा तो वहाँ से एक बड़ा-सा पतीला निकला। पतीला देखकर किशन दुखी हो गया।
किशन के मन में हुआ कि ये ज़ेवरात होते तो मेरे घर की हालत थोड़ी सुधर जाती। फिर किशन ने सोचा कि चलो, अब खाना ही खा लेता हूँ। किशन ने खाना खाने के लिए अपने हाथ की कुदाल उस पतीले में फेंक दी और हाथ-मुँह धोकर खाना खाने लगा। खाना खत्म करने के बाद किशन अपनी कुदाल उठाने के लिए उस पतीले के पास पहुँचा।
वहाँ पहुँचते ही किशन हैरान हो गया। उस पतीले के अंदर एक नहीं, बल्कि बहुत सारे कुदाल थे। उसे कुछ समझ नहीं आया। तभी उसने अपने पास रखी एक टोकरी को भी उस पतीले में फेंक दिया। वो एक टोकरी भी पतीले के अंदर जाते ही बहुत सारी हो गईं। ये सब देखकर किशन खुश हो गया और उस जादुई पतीले को अपने साथ घर लेकर चला आया।
वो हर दिन उस बर्तन में अपने कुछ औज़ार डालता और जब वो ज़्यादा हो जाते, तब उन्हें बाज़ार जाकर बेच आता। ऐसा करते-करते किशन के घर की हालत सुधरने लगी। उसने इस तरह से बहुत पैसा कमाया और अपने पिता का इलाज भी करवा लिया। एक दिन किशन ने कुछ गहने खरीदें और उन्हें भी पतीले में डाल दिया। वो गहने भी बहुत सारे बन गए। इस तरह धीरे-धीरे किशन अमीर होने लगा और उसने ज़मींदार के यहाँ मज़दूरी करना भी छोड़ दिया।
किशन को अमीर होते देख ज़मींदार मोहन को किशन पर शक़ हुआ। वो सीधे किशन के घर पहुँचा। वहाँ जाकर उसे जादुई पतीले के बारे में पता चला। उसने किशन से पूछा, “तुमने यह पतीला कब और किसके घर से चुराया?”
डरी हुई आवाज़ में किशन बोला, “साहब! ये पतीला मुझे खेत में खुदाई के समय मिला था। मैंने किसी के घर चोरी नहीं की है।”
खेत में खुदाई की बात सुनते ही ज़मींदार ने कहा, “यह पतीला जब मेरे खेत से मिला, तो यह मेरा हुआ।” किशन ने जादुई पतीला ना लेकर जाने की बहुत मिन्नते कीं, लेकिन ज़मींदार मोहन ने उसकी एक नहीं सुनी। वो ज़बरदस्ती अपने साथ वो जादुई पतीला लेकर चला गया।
ज़मींदार ने भी किशन की ही तरह उसमें सामान डालकर उन्हें बढ़ाना शुरू किया। एक दिन ज़मींदार ने अपने घर में मौजूद सारे गहने एक-एक करके उस पतीले में डाल दिए और रातोंरात बहुत अमीर हो गया।
एकदम से ज़मींदार के अमीर होने की खबर पीतल नगर के राजा तक पहुँच गई। पता लगाने पर राजा को भी जादुई पतीले की जानकारी मिली। फिर क्या था, राजा ने तुरंत अपने लोगों को भेजकर ज़मींदार के यहाँ से वो पतीला राजमहल मंगवा लिया।
राजमहल में उस जादुई पतीले के पहुँचते ही राजा ने अपने आसपास मौजूद सामान को उसमें डालना शुरू दिया। सामान को बढ़ता देखकर राजा दंग रह गया। होते-होते आखिर में राजा खुद उस पतीले के अंदर चला गया। देखते-ही-देखते उस पतीले से बहुत सारे राजा निकल आए।
पतीले से निकला हर राजा बोलता, “मैं पीतल नगर का असली राजा हूँ, तुम्हें तो इस जादुई पतीले ने बनाया है।” ऐसा होते-होते सारे राजा आपस में लड़ने लगे और लड़कर मर गए। लड़ाई के दौरान वो जादुई पतीला भी टूट गया।
जादुई पतीले के कारण राजमहल में हुई इस भयानक लड़ाई के बारे में नगर में सबको पता चल गया। इस बात की जानकारी मिलते ही मज़दूर किशन और ज़मींदार मोहन ने सोचा, अच्छा हुआ कि हमने उस जादुई पतीले का इस्तेमाल सही से किया। उस राजा ने अपनी मूर्खता के कारण अपनी जान ही खो दी।
कहानी से सीख
जादुई पतीले की कहानी से दो सीख मिलती हैं। पहली कि मूर्खता का अंत बुरा ही होता है। दूसरी यह कि हर सामान का इस्तेमाल संभलकर करना चाहिए। अति हानिकारक हो सकती है।
Panchtantra stories in hindi
सालों पहले पीतल नगर में किशन नाम का एक किसान रहता था। वह गाँव के एक ज़मींदार के खेत पर काम करके किसी तरह अपना घर चला रहा था।
पहले किशन के भी खेत थे, लेकिन उसके पिता के बीमार होने के कारण उसे अपने सारे खेत बेचने पड़े। मज़दूरी में मिलने वाले पैसों से पिता का इलाज कराना और घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा था।
वो हर दिन सोचता कि कैसे घर की स्थिति को बेहतर किया जाए। आज भी इसी सोच के साथ किशन सुबह-सुबह ज़मींदार के खेत पर काम करने के लिए निकला।
खुदाई करते समय उसकी कुदाल किसी धातु से टकराई और तेज़ आवाज़ हुई। किशन के मन में हुआ कि आखिर ऐसा क्या है यहाँ? उसने तुरंत उस हिस्से को खोदा तो वहाँ से एक बड़ा-सा पतीला निकला। पतीला देखकर किशन दुखी हो गया।
किशन के मन में हुआ कि ये ज़ेवरात होते तो मेरे घर की हालत थोड़ी सुधर जाती। फिर किशन ने सोचा कि चलो, अब खाना ही खा लेता हूँ। किशन ने खाना खाने के लिए अपने हाथ की कुदाल उस पतीले में फेंक दी और हाथ-मुँह धोकर खाना खाने लगा। खाना खत्म करने के बाद किशन अपनी कुदाल उठाने के लिए उस पतीले के पास पहुँचा।
वहाँ पहुँचते ही किशन हैरान हो गया। उस पतीले के अंदर एक नहीं, बल्कि बहुत सारे कुदाल थे। उसे कुछ समझ नहीं आया। तभी उसने अपने पास रखी एक टोकरी को भी उस पतीले में फेंक दिया। वो एक टोकरी भी पतीले के अंदर जाते ही बहुत सारी हो गईं। ये सब देखकर किशन खुश हो गया और उस जादुई पतीले को अपने साथ घर लेकर चला आया।
वो हर दिन उस बर्तन में अपने कुछ औज़ार डालता और जब वो ज़्यादा हो जाते, तब उन्हें बाज़ार जाकर बेच आता। ऐसा करते-करते किशन के घर की हालत सुधरने लगी। उसने इस तरह से बहुत पैसा कमाया और अपने पिता का इलाज भी करवा लिया। एक दिन किशन ने कुछ गहने खरीदें और उन्हें भी पतीले में डाल दिया। वो गहने भी बहुत सारे बन गए। इस तरह धीरे-धीरे किशन अमीर होने लगा और उसने ज़मींदार के यहाँ मज़दूरी करना भी छोड़ दिया।
किशन को अमीर होते देख ज़मींदार मोहन को किशन पर शक़ हुआ। वो सीधे किशन के घर पहुँचा। वहाँ जाकर उसे जादुई पतीले के बारे में पता चला। उसने किशन से पूछा, “तुमने यह पतीला कब और किसके घर से चुराया?”
डरी हुई आवाज़ में किशन बोला, “साहब! ये पतीला मुझे खेत में खुदाई के समय मिला था। मैंने किसी के घर चोरी नहीं की है।”
खेत में खुदाई की बात सुनते ही ज़मींदार ने कहा, “यह पतीला जब मेरे खेत से मिला, तो यह मेरा हुआ।” किशन ने जादुई पतीला ना लेकर जाने की बहुत मिन्नते कीं, लेकिन ज़मींदार मोहन ने उसकी एक नहीं सुनी। वो ज़बरदस्ती अपने साथ वो जादुई पतीला लेकर चला गया।
ज़मींदार ने भी किशन की ही तरह उसमें सामान डालकर उन्हें बढ़ाना शुरू किया। एक दिन ज़मींदार ने अपने घर में मौजूद सारे गहने एक-एक करके उस पतीले में डाल दिए और रातोंरात बहुत अमीर हो गया।
एकदम से ज़मींदार के अमीर होने की खबर पीतल नगर के राजा तक पहुँच गई। पता लगाने पर राजा को भी जादुई पतीले की जानकारी मिली। फिर क्या था, राजा ने तुरंत अपने लोगों को भेजकर ज़मींदार के यहाँ से वो पतीला राजमहल मंगवा लिया।
राजमहल में उस जादुई पतीले के पहुँचते ही राजा ने अपने आसपास मौजूद सामान को उसमें डालना शुरू दिया। सामान को बढ़ता देखकर राजा दंग रह गया। होते-होते आखिर में राजा खुद उस पतीले के अंदर चला गया। देखते-ही-देखते उस पतीले से बहुत सारे राजा निकल आए।
पतीले से निकला हर राजा बोलता, “मैं पीतल नगर का असली राजा हूँ, तुम्हें तो इस जादुई पतीले ने बनाया है।” ऐसा होते-होते सारे राजा आपस में लड़ने लगे और लड़कर मर गए। लड़ाई के दौरान वो जादुई पतीला भी टूट गया।
जादुई पतीले के कारण राजमहल में हुई इस भयानक लड़ाई के बारे में नगर में सबको पता चल गया। इस बात की जानकारी मिलते ही मज़दूर किशन और ज़मींदार मोहन ने सोचा, अच्छा हुआ कि हमने उस जादुई पतीले का इस्तेमाल सही से किया। उस राजा ने अपनी मूर्खता के कारण अपनी जान ही खो दी।
कहानी से सीख
जादुई पतीले की कहानी से दो सीख मिलती हैं। पहली कि मूर्खता का अंत बुरा ही होता है। दूसरी यह कि हर सामान का इस्तेमाल संभलकर करना चाहिए। अति हानिकारक हो सकती है।
Panchtantra stories in hindi
2) पंचतंत्र की कहानी: लालची मिठाई वाला | Greedy Sweet Seller Story In Hindi
दिनपुर गांव में सोहन नाम का हलवाई रहता था। वह खूब बढ़िया और स्वादिष्ट मिठाइयां बनाने के लिए जाना जाता था। इसी वजह से उसकी दुकान पूरे गांव में मशहूर थी। पूरा गांव उसी की दुकान से मिठाई खरीदता था। वह और उसकी पत्नी मिलकर शुद्ध देसी घी में मिठाई बनाते थे। इससे मिठाइयां काफी अच्छी और स्वादिष्ट बनती थीं। हर रोज शाम होते-होते उसकी सारी मिठाइयां बिक जाती थीं और वह अच्छा मुनाफा भी कमा लेता था।
मिठाइयों से जैसे ही आमदनी बढ़ने लगी, सोहन के मन में और पैसा कमाने का लालच आने लग गया। अपने इसी लालच के चलते उसे एक तरकीब सूझी। वह शहर गया और वहां से एक दो चुम्बक के टुकड़े ले कर आ गया। उस टुकड़े को उसने अपने तराजू के नीचे लगा दिया।
इसके बाद एक नया ग्राहक आया, जिसने सोहन के पास से एक किलो जलेबी खरीदी। इस बार तराजू में चुम्बक लगाने की वजह से सोहन को अधिक मुनाफा हुआ। उसने अपनी इस तरकीब के बारे में अपनी पत्नी को भी बताया, लेकिन उसकी पत्नी को सोहन की यह चालाकी अच्छी नहीं लगी। उसने सोहन को समझाया कि उसे अपने ग्राहकों के साथ इस तरह की धोखेबाजी नहीं करनी चाहिए, लेकिन सोहन ने अपनी पत्नी की बात बिल्कुल भी नहीं सुनी।
वो हर रोज तराजू के नीचे चुंबक लगाकर अपने ग्राहकों को धोखा देने लगा। इससे उसका मुनाफा बढ़कर कई गुना अधिक हो गया। इससे सोहन को काफी खुशी हुई।
एक दिन सोहन की दुकान पर रवि नाम का एक नया लड़का आया। उसने सोहन से दो किलो जलेबी खरीदी। सोहन ने इसे भी चुम्बक लगे तराजू से तोलकर जलेबी दे दी।
रवि ने जैसे ही जलेबी उठाई, उसे लगा कि जलेबी का वजन दो किलो से कम है। उसने अपना शक दूर करने के लिए सोहन से दोबारा से जलेबी को तोलने के लिए कहा।
रवि की बात सुनकर सोहन चिढ़ गया। उसने कहा, ‘मेरे पास इतना फालतू समय नहीं है कि मैं बार-बार तुम्हारी जलेबी ही तोलता रहूं।’ इतना कहकर उसने रवि को वहां से जाने के लिए कह दिया।
सोहन मिठाई वाले की बात सुनने के बाद रवि जलेबी लेकर वहां से चला गया। वह एक दूसरी दुकान पर गया और वहां बैठे मिठाई वाले से अपनी जलेबी तोलने के लिए कहा। जब दूसरे दुकानदार ने जलेबी तोली, तो जलेबी सिर्फ डेढ़ किलो ही निकली। अब उसका शक यकीन में बदल गया था। उसे पता चल गया कि सोहन मिठाई वाले के तराजू में कुछ गड़बड़ है।
अब उसने तराजू की गड़बड़ को सबके सामने लाने के लिए खुद एक तराजू खरीद लिया और उसे ले जाकर सोहन मिठाई वाले के दुकान के पास ही रख दिया।
फिर रवि अपने सभी गांव के लोगों को वहां पर इकट्ठा करने में लग गया। जैसे ही लोगों की थोड़ी भीड़ बढ़ने लगी, तो उसने गांव के लोगों को कहा कि आज मैं आप सभी लोगों को एक जादू दिखाऊंगा। यह जादू देखने के लिए बस आप लोगों को सोहन मिठाई वाले से खरीदा गया सामान एक बार इस तराजू में तोलना होगा। तब आप लोग देखेंगे कि कैसे सोहन मिठाई वाले के तराजू में तोली गई मिठाइयां इस दूसरे तराजू में अपने आप ही कम हो जाती हैं।
कुछ देर बाद एक-दो लोग मिठाई लेकर रवि के पास पहुंचे, तो उसने ऐसा करके भी दिखाया। इसके बाद सोहन के दुकान से जिसने भी मिठाई खरीदी थी, सभी ने रवि के तराजू में तोलकर देखा, तो सबकी मिठाइयां 250 ग्राम से लेकर आधा किलो तक कम निकली। यह सब देखकर लोगों को काफी हैरानी हुई।
अपनी दुकान के पास ही यह सब होता देख सोहन मिठाई वाला रवि से झगड़ा करने लगा। उसने लोगों को बताया कि रवि यह सब नाटक कर रहा है। अपनी बात को सही साबित करने के लिए रवि सीधे सोहन मिठाई वाले का तराजू लेकर आया और तराजू में लगा चुम्बक निकालकर सबको दिखाने लगा।
यह देखकर गांव वालों को बहुत गुस्सा आया। सबने मिलकर उस लालची मिठाई वाले को खूब मारा। अब उस लालची मिठाई वाले को अपने लालच और उसके कारण की गई गलत हरकतों पर पछतावा हो रहा था। उसने अपने गांव के सभी लोगों से माफी मांगी और वादा भी किया कि भविष्य में वे ऐसी कोई भी जालसाजी नहीं करेगा।
सोहन की इस धोखेबाजी से पूरा गांव नाराज था, इसलिए लोगों ने उसकी दुकान में जाना काफी कम कर दिया। इधर, सोहन के पास पछताने के अलावा कुछ और नहीं बचा, क्योंकि वो पूरे गांव वालों का भरोसा खो चुका था।
कहानी से सीख – कभी भी लालच नहीं करना चाहिए। हमेशा ईमानदारी के साथ अपना काम करने से ही इंसान का नाम होता है। लालच के चलते भले ही कुछ समय के लिए अच्छा फायदा हो, लेकिन इससे इज्जत और आत्मसम्मान दोनों कम हो जाते हैं।
Panchtantra stories in hindi
3) पंचतंत्र की कहानी: मूर्खों का बहुमत | The Majority Of Fools Story In Hindi
किसी जंगल में एक उल्लू रहता था। उसे दिन में कुछ दिखाई नहीं देता था, इसलिए वह दिनभर एक पेड़ पर अपने घोंसले में छिपकर रहता था। सिर्फ रात होने पर ही वह भोजन के लिए बाहर निकलता था। एक बार की बात के गर्मियों का मौसम था। दोपहर का समय था और बहुत तेज धूप थी। तभी कहीं से एक बंदर आया और वह उल्लू के घोसले वाले पेड़ पर आकर बैठ गया। गर्मी और धूप से परेशान बंदन ने कहा – “ऊफ, बहुत गर्मी है। आकाश में सूर्य भी आग के किसी बड़े गोले की तरह चमक रहा है।”
बंदर की बात को उल्लू ने भी सुन लिया। उससे रहा नहीं गया और बीच में ही बोल पड़ा – “यह तुम झूठ कह रहे हो? सूर्य नहीं, बल्कि अगर चंद्रमा के चमकने की बात कहते तो मैं इसे सच मान लेता।”
बंदर बोला – “भला दिन में चंद्रमा कैसे चमक सकता हैं। वह तो रात में चमकता है और यह दिन का समय है, तो दिन में सूर्य ही चमकेगा। यही कारण है कि सूर्य की तेज रोशानी की वजह से बहुत ज्यादा गर्मी हो रही है।”
उस बंदर ने उल्लू को अपनी बात समझाने का बहुत प्रयास किया कि दिन में सूरज ही चमकता है चंद्रमा नहीं, लेकिन उल्लू भी अपनी ही जिद पर अड़ा था। इसके बाद उल्लू ने कहा – “चलो, हम दोनों मेरे एक मित्र के पास चलते हैं, वही इसका निर्णय करेगा।”
बंदर और उल्लू दोनों एक दूसरे पेड़ पर गए। उस दूसरे पेड़ पर उल्लुओं का एक बड़ा झुंड रहता था। उल्लू ने सभी को बुलाया और उनसे कहा कि दिन में आकार में सूर्य चमक रहा है या नहीं यह तुम सब मिलकर बताओ।
उल्लू की बात सुनकर उल्लुओं का पूरा झुंड हंसने लगा। वह बंदर की बात का मजाक उड़ाने लगें। उन्होनें कहा – “नहीं, तुम बेवकूफों जैसी बात कर रहे हो। इस समय आकार में तो चंद्रमा ही चमक रहा है और आकाश में सूर्य के चमकने की झूठी बात बोलकर हमारी बस्ती में झूठ का प्रचार मत करो।”
उल्लुओं के झुंड की बात सुनने के बाद भी बंदर अपनी ही बात पर अड़ा हुआ था। जिस देखर सभी उल्लू गुस्सा हो गए और वे सारे के सारे बंदर को मारने के लिए उसपर झपट पढ़े। दिन का समय था और उल्लुओं को कम दिखाई दे रहा था इसी वजह से बंदर वहां से बचकर भाग निकलने में कामयाब हो गया और उसने अपनी जान बचाई।
कहानी से सीख
पंचतंत्र की यह कहानी हमें सीख देती है कि मूर्ख मनुष्य कभी भी विद्वानों की बात को सच नहीं मानता है। ऐसे मूर्ख लोग अपने बहुमत से सत्य को भी असत्य साबित कर सकते हैं।
Panchtantra stories in hindi
4) पंचतंत्र की कहानी: हाथी और बंदर | Hathi Aur Bandar Ki Dosti
एक घने जंगल में एक बंदर और एक हाथी रहते थे। हाथी बड़ा शक्तिशाली था। वो बड़े-बड़े पेड़ों को एक ही झटके में उखाड़ देता था। बंदर काफी दुबला-पतला, लेकिन वो बड़ा ही फुर्तीला और तेज था। दिनभर बंदर जंगल के पेड़ों पर उछलकूद करता रहता था।
बंदर और हाथी दोनों को ही अपने गुणों पर बड़ा ही घमंड था। दोनों ही एक-दूसरे से खुद को ज्यादा अच्छा मानते थे। इस वजह से दोनों में हमेशा बहस होती रहती थी।
उसी जंगल में एक उल्लू भी रहता था, जो अक्सर बंदर और हाथी की हरकतें देखाता था। वह इन दोनों के लड़ाई-झगड़े से परेशान हो गया था। एक दिन उस उल्लू ने उन दोनों से कहा, ‘जिस तरह तुम दोनों लड़ते हो, इससे कोई फैसला नहीं होने वाला है। तुम दोनों एक प्रतियोगिता के जरिए आसानी से यह फैसला कर सकते हो कि तुम दोनों में से सबसे शक्तिशाली कौन है।’
बंदर और हाथी दोनों को उल्लू की बात अच्छी लगी। दोनों ने फिर एक साथ पूछा, ‘इस प्रतियोगिता में क्या करना होगा?’
उल्लू ने कहा, ‘इस जंगल को पार करने पर एक दूसरा जंगल आता है। जहां पर एक काफी पुराना पेड़ है, जिस पर एक सोने का फल लगा हुआ है। तुम दोनों में से उस सोने के फल को जो पहले लाएगा, उसे ही इस प्रतियोगिता का विजेता बनेगा और असल मायनों में सबसे शक्तिशाली कहलाएगा।
उल्लू की बात सुनते ही बंदर और हाथी बिना कुछ सोचे-समझे दूसरे जंगल की तरफ निकले। बंदर ने अपनी फुर्ती दिखानी शुरू की। वह एक ही छलांग में एक पेड़ से दूसरे पेड़ तक पहुंच जाता। वहीं, हाथी तेजी से दौड़ने लगा और रास्ते में आने वाली हर चीज को अपने मजबूत सूंड से उखाड़ फेंकता।
थोड़ी ही देर में हाथी और बंदर उस जंगल से बाहर निकल गए। इस जंगल से दूसरे जंगल के बीच के रास्ते में एक नदी बहती थी। उसे पार करने के बाद ही दूसरे जंगल में पहुंचा जा सकता था।
बंदर ने फिर से अपनी फुर्ती दिखाई और झट से वह नदी में कूद गया, लेकिन पानी की लहर काफी तेज थी, तो बंदर नदी में बहने लगा। बंदर को नदी में बहते हुए देखरकर हाथी ने तुंरत अपनी सूंड से उसे पकड़कर पानी के बाहर निकाल दिया।
हाथी के इस व्यवहार को देखकर बंदर काफी हैरान हुआ। उसने विनम्र होकर हाथी को अपनी जान बचाने के लिए धन्यवाद कहा और अपनी हार मानते हुए हाथी को ही आगे का सफर तय करने के लिए कहा।
बंदर की इस बात को सुनकर हाथी ने कहा, ‘मैं नदीं पार कर सकता है। तुम भी मेरी पीठ पर बैठकर इसे पार कर लो।’
बंदर हाथी की बात मान गया और वह हाथी के पीठ पर बैठ गया। इस तरह दोनों ने नदी पार कर ली और दूसरे जंगर में पहुंच गए। फिर दोनों ने मिलकर सोने के लगे हुए फल वाले पेड़ को भी खोज निकाला।
सबसे पहले हाथी ने अपनी अपनी सूंड से उस पेड़ को गिराना चाहा, लेकिन वह पेड़ काफी मजबूत था। हाथी के प्रहार से वो पेड़ नहीं उखड़ा।
फिर हाथी ने निराश होकर कहा, ‘मैं अब यह फल नहीं तोड़ सकता हूं।’
बंदर बोला, ‘चलो, मैं भी एक बार कोशिश करके देखता हूं।’
बंदर फुर्ती से उस पेड़ पर चलने लगा और उस डाली पर पहुंच गया जहां पर सोने का फूल लगा हुआ था। उसने वह फल तोड़ लिया और पेड़ के नीचे उतर गया।
इसके बाद दोनों वापस नदी पार करके अपने जंगल लौट आए और उल्लू को वह सोने का फल दे दिया।
फल पाने के बाद उल्लू जैसे ही इस प्रतियोगिता के लिए विजेता का नाम बोला, वैसे ही बंदर और हाथी ने मिलकर उसकी बात को रोक दिया।
दोनों ने एक साथ कहा, ‘उल्लू दादा, अब हमें विजेता का नाम जानने की आवश्यकता नहीं है। इस प्रतियोगिता को हम दोनों ने मिलकर पूरा किया है। हमें यह समझ में आ गया है कि हर किसी का गुण अपने आप में अलग और खास होता है। हमने यह भी फैसला किया है कि आगे से अब हम कभी भी इस बात पर बहस भी नहीं करेंगे और मित्र की तरह इस जंगल में रहेंगे।’
उल्लू को बंदर और हाथी की बात सुनकर काफी खुशी हुई। उसने दोनों से कहा, ‘मैं तुम्हें यही समझाना चाहता था कि सभी एक-दूसरे से अलग होते हैं। अलग-अलग गुण और शक्तियां ही हमें एक दूसरे की मदद करने के काबिल बनाती हैं। साथ ही हर किसी की अपनी कमजोरियां भी होती हैं, इसलिए एक-दूसरे के साथ मिलकर रहना ही सबसे अच्छा होता है।’
उसी दिन से हाथी और बंदर दोनों मित्र हो गए और वह जंगल में खुशी-खुशी रहने लगे।
कहानी से सीख
हमें एक-दूसरे के गुणों और शक्तियों का सम्मान करना और आपस में मिल-जुलकर रहना चाहिए।
5) Panchtantra stories in hindi पंचतंत्र की कहानिया
पंचतंत्र की कहानी: बोलने वाली गुफा | Bolnewali Gufa Panchtantra.
बहुत पुरानी बात है, एक घने जंगल में बड़ा-सा शेर रहता था। उससे जंगल के सभी जानवर थर-थर कांपते थे। वह हर रोज जंगल के जानवरों का शिकार करता और अपना पेट भरता था।
एक दिन वह पूरा दिन जंगल में भटकता रहा, लेकिन उसे एक भी शिकार नहीं मिला। भटकते-भटकते शाम हो गई और भूख से उसकी हालत खराब हो चुकी थी। तभी उस शेर को एक गुफा दिखी। शेर ने सोचा कि क्यों न इस गुफा में बैठकर इसके मालिक का इंतजार किया जाए और जैसे ही वो आएगा, तो उसे मारकर वही अपनी भूख मिटा लेगा। यह सोचते ही शेर दौड़कर उस गुफा के अंदर जाकर बैठ गया।
वह गुफा एक सियार की थी, जो दोपहर में बाहर गया था। जब वह रात को अपनी गुफा में लौट रहा था, तो उसने गुफा के बाहर शेर के पंजों के निशान देखे। यह देखकर वह सतर्क हो गया। उसने जब ध्यान से निशानों को देखा, तो उसे समझ आया कि पंजे के निशान गुफा के अंदर जाने के हैं, लेकिन बाहर आने के नहीं हैं। अब उसे इस बात का विश्वास हो गया कि शेर गुफा के अंदर ही बैठा हुआ है।
फिर भी इस बात की पुष्टि करने के लिए सियार ने एक तरकीब निकाली। उसने गुफा के बाहर से ही आवाज लगाई, “अरी ओ गुफा! क्या बात है, आज तुमने मुझे आवाज नहीं लगाई। रोज तुम पुकारकर बुलाती हो, लेकिन आज बड़ी चुप हो। ऐसा क्या हुआ है?”
अंदर बैठे शेर ने सोचा, “हो सकता है यह गुफा रोज आवाज लगाकर इस सियार को बुलाती हो, लेकिन आज मेरे वजह से बोल नहीं रही है। कोई बात नहीं, आज मैं ही इसे पुकारता हूं।” यह सोचकर शेर ने जोर से आवाज लगाई, “आ जाओ मेरे प्रिय मित्र सियार। अंदर आ जाओ।”
इस आवाज को सुनते ही सियार को पता चल गया कि शेर अंदर ही बैठा है। वो तेजी से अपनी जान बचाकर वहां से भाग गया।
कहानी से सीख :
मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में भी बुद्धि से काम लिया जाए, तो उसका हल निकल सकता है।
Post a Comment