Sheikhchilli stories in hindi : शेखचिल्ली की कहानियाँ
Sheikhchilli stories in hindi : शेखचिल्ली की कहानियाँ
शेख चिल्ली कौन थे?
शेखचिल्ली का वास्तविक नाम सूफी अब्द उर रज्ज़ाक था. इसके अलावा उन्हें अब्द उर रहीम, अलैस अब्द उर करीम, अलैस अब्द उर रज्जाक के नाम से भी जाना जाता था. वे एक महान सूफी संत और दार्शनिक थे. मुगल बादशाह शाहजहाँ का पुत्र दारा शिकोह उन्हें अपना गुरू मानता था. शाहजहाँ भी उनके बहुत बड़े प्रशंषक थे.
बलूचिस्तान के एक खानाबदोश कबीले में जन्मे शेखचिल्ली की घुमक्कड़ी का शौक उन्हें भारत ले आया. भारतीय किस्से-कहानियों के एक मज़ेदार और रोचक पात्र के रूप में वे बड़े मशहूर हैं.
शेखचिल्ली अपनी बात बड़ी ही ईमानदारी और साफ़गोई से कह करते थे. वे इतनी खरी-खरी होती थी कि उसमें से हास्य उत्पन्न हो जाता था. वे न व्यहारिकता की परवाह करते थे, न ही उनमें कोई दिखावा था. कई बार उनकी सरलता और भोलापन लोगों को हँसने पर विवश कर देता था. उनकी कहानियाँ रोचक तो होती ही है, लेकिन वे आम जीवन के संघर्षों का चित्रण भी करती हैं.
शेखचिल्ली के बारे में यह भी मशहूर था कि वे दिन में सपने देखते थे. उनके हास्य पात्र बनने के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण उनकी यह आदत भी है. आज भी दिन में सपने देखने वालों को शेखचिल्ली कहा जाता है.
मृत्यु उपरांत वे भारत में ही दफ्न किये गये. उनका मकबरा हरियाणा के कुरुक्षेत्र के थानेश्वर में स्थित है. बलुआ पत्थरों से निर्मित यह मक़बरा मुग़ल कालीन वास्तुकला का शानदार नमूना है.
शेखचिल्ली का वास्तविक नाम सूफी अब्द उर रज्ज़ाक था. इसके अलावा उन्हें अब्द उर रहीम, अलैस अब्द उर करीम, अलैस अब्द उर रज्जाक के नाम से भी जाना जाता था. वे एक महान सूफी संत और दार्शनिक थे. मुगल बादशाह शाहजहाँ का पुत्र दारा शिकोह उन्हें अपना गुरू मानता था. शाहजहाँ भी उनके बहुत बड़े प्रशंषक थे.
बलूचिस्तान के एक खानाबदोश कबीले में जन्मे शेखचिल्ली की घुमक्कड़ी का शौक उन्हें भारत ले आया. भारतीय किस्से-कहानियों के एक मज़ेदार और रोचक पात्र के रूप में वे बड़े मशहूर हैं.
शेखचिल्ली अपनी बात बड़ी ही ईमानदारी और साफ़गोई से कह करते थे. वे इतनी खरी-खरी होती थी कि उसमें से हास्य उत्पन्न हो जाता था. वे न व्यहारिकता की परवाह करते थे, न ही उनमें कोई दिखावा था. कई बार उनकी सरलता और भोलापन लोगों को हँसने पर विवश कर देता था. उनकी कहानियाँ रोचक तो होती ही है, लेकिन वे आम जीवन के संघर्षों का चित्रण भी करती हैं.
शेखचिल्ली के बारे में यह भी मशहूर था कि वे दिन में सपने देखते थे. उनके हास्य पात्र बनने के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण उनकी यह आदत भी है. आज भी दिन में सपने देखने वालों को शेखचिल्ली कहा जाता है.
मृत्यु उपरांत वे भारत में ही दफ्न किये गये. उनका मकबरा हरियाणा के कुरुक्षेत्र के थानेश्वर में स्थित है. बलुआ पत्थरों से निर्मित यह मक़बरा मुग़ल कालीन वास्तुकला का शानदार नमूना है.
Sheikhchilli stories in hindi शेखचिल्ली की कहानियां
शेखचिल्ली की कहानी: कुएं की परियां | Kuen Ki Pariyan Ki Kahani
शेखचिल्ली बहुत गरीब था। वो एक नंबर का मूर्ख और कामचोर भी था। उसके घर कई-कई दिनों तक खाना तक नहीं बनता था। ये सब देखकर एक दिन शेखचिल्ली की पत्नी को बहुत गुस्सा आ गया। उसने शेखचिल्ली पर चिल्लाते हुए कहा, ”मैं इस गरीबी से तंग आ चुकी हूं। अब मैं इस हालत में नहीं रह सकती है। जब तक तुम पैसे कमाकर नहीं लाओगे, मैं तुम्हें घर में घुसने नहीं दूंगी।”
इतना कहकर शेखचिल्ली को उसकी पत्नी ने पैसे कमाने के लिए घर से बाहर भेज दिया। साथ ही उसे चार सूखी रोटियां भी दे दी, ताकि रास्ते में भूख लगे, तो खा सके। शेखचिल्ली पत्नी के गुस्से से डरकर काम की तलाश में घर से निकल पड़ा।
शेखचिल्ली सबसे पहले अपने गांव के साहूकार के पास गया। उसने सोचा कि साहूकार उसे जरूर काम पर रख लेगा, लेकिन उल्टा साहूकार ने उसे डांटकर भगा दिया। इसके बाद शेखचिल्ली काम की तलाश में एक गांव से दूसरे गांव में भटकता रहा, लेकिन घर वापस नहीं गया, क्योंकि पत्नी ने गुस्से में कहा था कि बिना नौकरी के घर वापस मत आना।
जब शेखचिल्ली चलते-चलते बहुत थक गया, तो पास में एक कुएं को देखकर उसके चबूतरे पर जाकर बैठ गया। अब उसे तेज भूख भी लग रही थी, तो उसने अपनी पाेटली से सूखी रोटियां बाहर निकालीं, लेकिन उसे इतनी तेज भूख लगी थी कि इन चार राेटियों से उसका पेट नहीं भरने वाला था। रोटियों को देखकर वो बार-बार सोचने लगा कि अगर सारी रोटियां उसने अभी खा लीं, तो बाद में क्या करेगा। इसी उधेड़बुन में शेखचिल्ली हर बार रोटियों को पोटली से निकालकर गिनता और वापस अंदर रख देता।
आखिर में जब उसे कुछ नहीं सूझा, तो उसने कुएं के देवता से मदद मांगने की सोची। वो कुएं के सामने हाथ जोड़कर खड़ा हो गया और बोला, ”हे प्रभू, अब आप ही मदद करो। मुझे तेज भूख लगी है, लेकिन इन चार रोटियों से मेरा पेट नहीं भरने वाला और इन रोटियों को अभी खा लिया, तो कल क्या खाऊंगा? मुझे तो अभी कोई नौकरी भी नहीं मिली है। अब तुम ही बताओ कि मैं क्या करूं? एक खाऊं, दो खाऊं, तीन खाऊं, या चारों खा जाऊं?” अब उस कुएं में कोई देवता तो रहता नहीं था, जो उसके सवालों का जवाब देता।
उल्टा कुएं में चार परियां रहती थीं, जो शेखचिल्ली की बातें सुनकर डर गईं। उन्हें लगा कि कुएं के बाहर कोई राक्षस आया है, जो उन्हें खा जाएगा। बस इसी डर के मारे चारों परियां राक्षस से दया की भीख मांगने कुएं से बाहर निकल आईं। कुएं से बाहर आते ही उन्होंने शेखचिल्ली के आगे हाथ जोड़कर कहा, ”हे राक्षसराज! आप बहुत शक्तिशाली हैं। आप बेवजह चारों को खाने के बारे में सोच रहे हैं। अगर आप हम पर दया करें, तो हम आपको कुछ ऐसी चीजें दे सकती हैं, तो आपके बहुत काम आएंगी।”
परियों को अपने सामने देखकर शेखचिल्ली हैरान रह गया और समझ नहीं आया कि वो परियों से क्या बोले। शेखचिल्ली को चुप देखकर परियों ने समझा कि राक्षसराज ने उनकी बात मान ली है। इसलिए, उन्होंने शेखचिल्ली को एक कठपुतला और एक कटोरा देते हए कहा,”हे राक्षसराज! यह कठपुतला आपकी हर बात मानेगा। आप जो कहेंगे ये वो ही करेगा और ये कटोरा आप जो खाना चाहेंगे, वाे आपको खाने के लिए देगा।” यह कहकर परियां कुएं में वापस चली गईं।
यह सुनकर शेखचिल्ली बहुत खुश हुआ और सोचा कि अब उसे घर वापस चले जाना चाहिए। ये सारी चीजें देखकर उसकी पत्नी बहुत खुश होगी, लेकिन तब तक बहुत रात हो चुकी थी, इसलिए वो पास के एक गांव पहुंच गया। वहां उसने एक आदमी को रातभर के लिए अपने घर में ठहराने की प्रार्थना की। उसने वादा किया कि इसके बदले वो उसे और उसके परिवार को अच्छी-अच्छी मिठाइयां और पकवान खिलाएगा। यह सुनकर वह व्यक्ति शेखचिल्ली को अपने साथ घर के अंदर ले गया।
जब घर के सभी सदस्य एक कमरे में बैठे हुए थे, तभी शेखचिल्ली ने अपना कटोरा निकाला और उसे तरह-तरह की मिठाइयां और स्वादिष्ट खाना देने के लिए कहा। इतना कहते ही वहां मिठाइयों और तरह-तरह के व्यंजनों का ढेर लग गया। जब सभी ने पेट भरकर खाना खा लिया, तो घर के मालिक की पत्नी बर्तन साफ करने के लिए जाने लगी, लेकिन शेखचिल्ली ने उसे रोक दिया और कहा कि मेरा कठपुतला ये सारे बर्तन साफ कर देगा। इतना कहना भर था कि कठपुतले ने चुटकियों में सारे बर्तन साफ कर दिए।
शेखचिल्ली के कटोरे और कठपुतले का कमाल देखकर घर के मालिक और उसकी पत्नी के मन में लालच आ गया। फिर शेखचिल्ली के सोते ही उन्होंने उसके झोले से सारी चीजें चुरा लीं और उनकी जगह नकली कटोरा और कठपुतला रख दिया। अगली सुबह शेखचिल्ली उठा और हाथ-मुंह धोकर झोला उठाकर घर की ओर चल दिया।
घर पहुंचते ही उसने पत्नी के सामने बड़ी-बड़ी डींगे मारनी शुरू कर दीं। शेखचिल्ली बोला, ”भाग्यवान, अब तुम्हें कोई भी काम करने की जरूरत नहीं है और न ही खाने-पीने की चिंता करने की जरूरत है। तुम जो कहोगी, वो काम ये कठपुतला कर देगा और जो खाना चाहोगी उसे ये कटोरा तुम्हारे सामने ला देगा”, लेकिन शेखचिल्ली की पत्नी को उसकी बातों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हुआ। उसने कहा, ”मैं नहीं मानती, तुम साबित करके दिखाओ।” फिर क्या था, शेखचिल्ली ने कटोरे और कठपुतले को अपना करतब दिखाने को कहा, लेकिन लेकिन वो दोनों चीजें तो नकली थीं, तो भला अपना जादू कैसे दिखातीं। ये देखकर शेखचिल्ली की पत्नी और ज्यादा नाराज हो गई और उसे बहुत डांटा।
पत्नी की बात सुनकर शेखचिल्ली उदास हो गया और वापस उसी कुएं के चबूतरे पर जाकर बैठ गया। उसे कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करे और फूट-फूट कर रोने लगा। उसके रोने की आवाज सुनकर चारों परियां कुएं से बाहर आ गईं और शेखचिल्ली से उसके रोने का कारण पूछा। शेखचिल्ली ने सारी कहानी उन्हें कह सुनाई। उसकी बात सुनकर परियों को हंसी आ गई। उन्होंने कहा, ”हमने तो तुम्हें खतरनाक राक्षस समझा था, इसीलिए तुम्हें खुश करने के लिए वो करामाती चीजें दी थीं, लेकिन तुम तो बहुत ही साधारण इंसान हो। तुम परेशान मत हो। हम तुम्हारी मदद करेंगी। हम तुम्हें एक रस्सी और एक डंडा दे रहे हैं। इन्हें लेकर एक बार फिर उसे घर में जाना, जिन्होंने तुम्हारी चीजें चुराई थी। इस रस्सी से उन्हें बांध देना और डंडे से खूब पीटना। इसके बाद वो परिवार तुम्हें तुम्हारी चीजें वापस दे देगा।” इतना कहते ही परियां कुएं में वापस चली गईं।
परियों की बात मानकर शेखचिल्ली फिर उसी घर में गया। उसने घर के मालिक से कहा, ”इस बार में तुम्हें नया जादू दिखाऊंगा।” उस आदमी ने लालच में आकर शेखचिल्ली को फिर से अपने घर में रुकने की इजाजत दे दी। घर के अंदर जाकर शेखचिल्ली का आदेश मिलते ही जादुई रस्सी ने घर के मालिक और उसकी पत्नी को बांध दिया और डंडे ने उनकी जमकर पिटाई शुरू कर दी। दर्द के मारे दोनों पति-पत्नी जोर-जोर से चिल्लाने लगे और शेखचिल्ली से माफी मांगने लगे। शेखचिल्ली ने कहा, ”तुमने मुझे धोखा दिया है। तुमने मेरा सामान चुराकर मेरा भरोसा तोड़ा है। जब तक तुम मेरी चीजें वापस नहीं करोगे, तब तक ये डंडा नहीं रुकेगा।” इतना सुनते ही पति-पत्नी ने शेखचिल्ली को उसकी चीजें वापस लौट दीं। इसके बाद शेखचिल्ली ने रस्सी और डंडे को रुक जाने का आदेश दिया।
दोनों चीजें मिलते ही शेखचिल्ली खुशी-खुशी वापस घर लौट गया। शेखचिल्ली को देखकर उसकी पत्नी गुस्से में चिल्लाई, ”तुम फिर लौट आए! अगर तुम घर के अंदर घुसे, तो मैं बेलन से तुम्हारी पिटाई करूंगी।” यह सुनकर शेखचिल्ली ने मन ही मन रस्सी और डंडे को आदेश दिया कि वो उसकी पत्नी को बांधे और उसकी पिटाई शुरू कर दे। रस्सी और डंडे का कमाल देखकर पत्नी डर गई और शेखचिल्ली से वादा किया कि वो फिर कभी उसके साथ बुरा व्यवहार नहीं करेगी। इसके बाद कहीं जाकर रस्सी और डंडे से उसे छुटकारा मिला। इसके बाद शेखचिल्ली ने जादुई कठपुतले और कटोरे का कमाल दिखाया।
कहानी से सीख :
हमें कभी किसी के साथ धोखा नहीं करना चाहिए और न ही लालच करना चाहिए। इसका परिणाम हमेशा बुरा ही होता है।
Sheikhchilli stories in hindi शेखचिल्ली की कहानियां
शेखचिल्ली की कहानी : बेगम के पैर | Begam Ke Pair In Hindi
यह कहानी उन दिनों की है जब झज्जर शहर महेंद्रगढ़ का ही हिस्सा हुआ करता था। उस दौरान भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में विदेशियों के हमले हो रहे थे। पानीपत, रोहतक और दिल्ली जैसे शहरों पर खतरा ज्यादा था। उन दिनों नवाब झज्जर में मौजूद बुआवाल तालाब की मरम्मत करवा रहे थे, ताकि मुसीबत के समय रेवाड़ी के लोगों को पानी की किल्लत न हो। अचानक कहीं से खबर आई कि दुर्राने ने हमला कर दिया है और दुर्रानी की सेना रेवाड़ी के पास पहुंचने वाली है।
इस बात का पता चलते ही नवाब ने अपने जांबाज सिपाहियों और वजीरों के संग जरूरी बैठक की। बैठक का मसला था कि अगर दुर्रानी की सेना झज्जर पर हमला करे, तो उससे कैसे निपटा जाएगा और अगर हमले के दौरान रोहतक या रेवाड़ी मदद मांगते हैं, तो क्या करना सही रहेगा? बैठक में मौजूद सभी लोगों ने कहा कि रियासत में सभी को हमले के बारे में सूचित कर दिया जाए और पूरी तैयारी की जाए, ताकि हमले के जवाब में कोई कसर न रहे। साथ ही आसपास की रियासतों की भी मदद की जाएगी।
उसी दिन रियासत में यह ऐलान करवा दिया गया है कि अगर हमला होता है, तो कमजोर, बीमार, महिलाएं और बच्चे जंगल में जाकर छिप जाएंगे और जवान सैनिकों का साथ देंगे। यह ऐलान शेखचिल्ली ने भी सुना। शेखचिल्ली थोड़ा परेशान हो गया, क्योंकि उसकी बेगम थोड़ी मोटी थी। उसने सोचा कि अगर हमला हुआ, तो उसकी बेगम जंगल तक कैसे पहुंचेगी। शेखचिल्ली के मन में अजीब-अजीब से ख्याल आने लगे। तभी उसने खुद को रोका और खुद से कहा, ‘मैं क्या बेकार की बातें सोच रहा हूं। फिर उसने सोचा कि इस बार तो भारी मुसीबत आन पड़ी है। मैं अपनी जन्नत को इस तरह कुर्बान नहीं होने दे सकता।’
अचानक उसके मन में ख्याल आया कि कितना अच्छा हो अगर कहीं से उड़ने वाला कालीन मिल जाए। फिर उसने खुद से कहा, ‘नवाब साहब ने तो मुझे घोड़ा दिया था। घोड़े की मदद से मैं बेगम की जान बचा सकता है।’ दुर्रानी की सेना हाथ मलती रह जाएगी। तभी उसे ख्याल आया कि आखिर घोड़ा भी तो एक जानवर है। क्या वह मेरी बेगम का बोझ उठा पाएगा? कहीं बीच रास्ते में उसने दम तोड़ दिया, तब क्या होगा? अगर उस वक्त बेगम दुश्मनों के हाथ लग गई, तो उसकी जान कैसे बचेगी? माना बेगम के पिता ताकतवर सिपाही थे और अच्छी तलवारबाजी जानते थे, लेकिन बेगम को तो तलवार चलानी नहीं आती। मेरी बेगम को तो बस जुबाना चलाना आता है। कम से कम उनमें भी यह कला होती, तो आज वो अपनी जान बचा पाती। इतने में शेखचिल्ली को ध्यान आया कि अगर बेगम को तलवार चलानी आती भी हो, तो तलवार आएगी कहां से? अब अल्लाह मियां तलवार आसमान से टपका तो नहीं देंगे कि लो शेखचिल्ली की बेगम इससे दुर्रानी की गर्दन काट देना।
अगर ऐसा हो भी जाए, तो बेगम सच में दुर्रानी की गर्दन काट डालेगी और उस दिन दुर्रानी की सेना में खौफ छा जाएगा। उसके सारे सिपाही मैदान छोड़कर भाग जाएंगे। ये सब होता देख नवाब चौंक जाएंगे और अपनी सेना से पूछेंगे कि आखिर यह चमत्कार किसने किया है? तब सेना उन्हें बताएगी कि एक मोटी औरत ने यह कारनामा किया है, उसने दुर्रानी की गर्दन काट दी है। उस मोटी औरत की वजह से ही हम बच पाए हैं। यह सुनकर नवाब बहुत खुश होंगे और उस औरत को पूरे सम्मान के साथ दरबार में लाने का आदेश देंगे।
यह भी हो सकता है कि नवाब खुद बेगम की तलाश में निकलें। जिस तरह बादशाह अकबर नंगे पांव वैष्णो देवी के दर्शन के लिए निकले थे। तभी वे बेगम की तलवार को दुर्रानी के खून से लथपथ देखेंगे। नवाब उन्हें देखते ही उनके सजदे में झुकेंगे और सेवा का मौका मांगेंगे।
नवाब बेगम को पूरे सम्मान के साथ महल में लाएंगे और बेगम के पैरों की धूल को अपने माथे से लगाएंगे। वे वहां मौजूद सभी को बेगम के पैर चूमने के लिए कहेंगे। यहां तक कि मुझे भी यह करने के लिए कहा जाएगा। भला मैं अपनी बेगम के पैर कैसे चूम सकता हूं। इसलिए, मैं साफ मना कर दूंगा। नवाब मुझ पर चिल्लाएंगे, लेकिन मैं बार-बार मना कर दूंगा।
इस पर नवाब गुस्सा हो जाएंगे और सिपाहियों से कहेंगे कि इसे जेल में डाल दो। इतने में धड़ाम से गिरने की आवाज हुई। शेखचिल्ली की आंखे खुली, तो उसने देखा कि वह चारपाई से लुढ़ककर नीचे सब्जी काट रही बेगम के पैरों में जा गिर पड़ा है। उसके गिरते ही बेगम चिल्लाई, ‘अच्छा हुआ किनारे गिरे, वरना तुम्हारी गर्दन शरीर से अलग हो जाती।’ शेखचिल्ली ने अपना माथा पकड़ लिया। अब उसे दुर्रानी के हमले से ज्यादा बेगम के पांव चूमने का डर सताने लगा था। मन में यही सवाल आ रहा था कि कहीं सच में ऐसा करना पड़ गया तो?
कहानी से सीख :
ख्याली दुनिया बनाने से अच्छा है कि इंसान वर्तमान में जीना सीखे।
Sheikhchilli stories in Hindi शेखचिल्ली की कहानियां
शेखचिल्ली की कहानी : सड़क यहीं रहती है | Sadak Yahin Rehti Hai Story In Hindi
शेखचिल्ली से जुड़ा यह किस्सा शुरू होता है, उसी के गांव की पुलिया से। एक दिन शेखचिल्ली अपने दोस्तों के साथ वहां बैठा हुआ था। सभी आपस में गप्पे लड़ा रहे कि तभी शहर से एक व्यक्ति वहां आकर रुका और शेख और उसके दोस्तों से पूछने लगा, “क्यों भाई, क्या कोई बता सकता है कि मियां शेख साहब के घर की तरफ कौन-सी सड़क जाती है?”
वो व्यक्ति शेखचिल्ली के पिता के बारे में पूछ रहा था। उसके पिता को पूरा गांव “शेख साहब” कहकर बुलाता था, लेकिन उस सज्जन की बात सुनकर शेखचिल्ली को नई हरकत सूझ गई। उसने कहा, “क्या आप यह जानना चाहते हैं कि शेख साहब के घर और कौन-सी सड़क जाती है?”
“हां-हां यही पूछना चाहता हूं!” उन व्यक्ति ने जवाब दिया।
इतना सुनते ही शेखचिल्ली बोल पड़ा, “इनमें से कोई भी सड़क नहीं जाती।”
इस पर शहरी सज्जन बोला, “अगर ये नहीं तो कौन-सी सड़क जाती है?”
शेखचिल्ली बोला, “कोई नहीं।”
व्यक्ति – “क्या कहते हो बेटा, मुझे तो सभी ने यही बताया है कि शेख साहब का घर इसी गांव में है।”
शेखचिल्ली – “आप, बिल्कुल सही कह रहे हैं, शेख साहब इसी गांव में रहते हैं”।
व्यक्ति – “तभी तो मैं पूछ रहा हूं कि कौन-सा रास्ता उनके घर तक जाता है? ”
शेखचिल्ली ने कहा- “जनाब आप तो उनके घर पहुंच जाएंगे, लेकिन ये सड़क यहीं रहेगी, ये कहीं नहीं जाएगी। ये बेचारी सड़क तो चल ही नहीं सकती। मैं शेखचिल्ली हूं, शेख साहब का बेटा। मैं आपको वो रास्ता बताऊंगा, जिस पर चलकर आप ठीक पते पर यानि मेरे घर पहुंच जाएंगे।”
शेखचिल्ली की बात सुनकर वो आदमी बहुत खुश हुआ और बोला, “तू तो बड़ा समझदार हो गया है और काफी बुद्धिमान भी। चल बेटा मुझे अपने घर ले चल। तेरे अब्बा मेरे बचपन के दोस्त हैं। मैं तेरे लिए अपनी बेटी का रिश्ता लेकर आया हूं। मेरी बेटी भी तेरी तरह बहुत समझदार है। तुम दोनों की जोड़ी बहुत अच्छी लगेगी।”
सज्जन पुरुष की बात सुन, शेखचिल्ली उन्हें अपने घर ले गया।
कहानी से सीख:
व्यक्ति को हमेशा अपनी बात स्पष्ट रूप से बोलनी चाहिए। साथ ही शब्दों के चयन पर भी गौर करना जरूरी है, ताकि सामने वाला बात को समझ सके।
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