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Tenali Rama hindi stories : तेनाली रामा की कहानियाँ

Tenali Rama hindi stories : तेनाली रामा की कहानियाँ

 
तेनाली रामा की कहानियां
भारत में ऐसे कई महान ज्ञानी हुए हैं, जिनकी बुद्धिमत्ता का लोहा हर किसी ने माना है। उनके व्यक्तित्व व चतुराई से जुड़े किस्से हर
किसी को प्रभावित व रोमांचित करते हैं। भारत के इतिहास में ऐसे ही शख्स हुए हैं, जिनका नाम है तेनालीराम। तेनालीराम की बुद्धिमानी से भला कौन परिचित नहीं है। तेनालीराम की जीवनी विजयनगर नगर से ही शुरू होती है। जहां वह महाराज कृष्णदेव राय के सबसे प्रिय मंत्री हुआ करते थे। वह उन्हें हर उलझन से निकालने में मदद करते थे। तेनालीराम के किस्से तब भी प्रसिद्ध थे और आज भी हैं।बच्चों के मानसिक विकास के लिए तेनाली राम की कहानियों को हमेशा अच्छा जरिया माना गया है। राज्य पर किसी तरह की आपत्ति आने पर महाराज तेनाली राम से ही सलाह लिया करते थे। यही नहीं तेनाली राम से जुड़े ऐसे कई चुटीले किस्से हैं, जो न सिर्फ हर किसी को गुदगुदाते हैं, बल्कि हंसी-हंसी में एक सीख भी दे जाते हैं। कहानियों के इस वर्ग में आपको तेनाली राम से जुड़े कई मजेदार किस्से पढ़ने को मिलेंगे, जो प्रमाण हैं इस बात का कि चुतराई और बौद्धिक कौशल के जरिए किसी भी समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।


Tenalirama

 
Tenali Rama hindi story तेनाली रामा की कहानियां
1) तेनाली रामा की कहानियां: अद्भुत कपड़ा | Adbhut Kapada Tenali Rama Story In Hindi


एक समय की बात है। राजा कृष्णदेव राय विजयनगर में दरबार लगाकर बैठे थे। उसी समय दरबार में एक सुंदर महिला एक बक्सा लेकर आई।

 उस बक्से में एक मखमली साड़ी थी, जिसे निकालकर वह दरबार में राजा और सभी दरबारियों को दिखाने लगी। साड़ी इतनी सुंदर थी कि जो भी उसे देखता वह हैरान रह जाता।

महिला ने राजा से कहा कि वह ऐसी ही सुंदर साड़ी बनाती है। उसके पास कुछ कारीगर हैं, जो अपनी गुप्त कलाओं से इस साड़ी की बुनाई करते हैं। उसने राजा से निवेदन किया कि अगर राजा उसे कुछ धन दें, तो वह उनके लिए भी ऐसी ही साड़ी बना देगी।

राजा कृष्णदेव राय ने महिला की बात मान ली और उसे धन दे दिया। महिला ने साड़ी तैयार करने के लिए 1 साल का समय मांगा। इसके बाद वह महिला साड़ी बुनने वाले अपने कारीगरों के साथ राजा के महल में रहने लगी और साड़ी की बुनाई करने लगी।

 
इस दौरान उस महिला व कारीगरों के खाने-पीने से लेकर तमाम खर्चे राजमहल ही उठाता था। इसी तरह 1 साल का समय निकल गया। फिर राजा ने अपने मंत्रियों को उस साड़ी को देखने के लिए उस महिला के पास भेजा। जब मंत्री कारीगर के पास गए, तो वह देखकर हैरान रह गए। वहां दो कारीगर बिना किसी धागे या कपड़े के कुछ बुन रहे थे।

महिला ने बताया कि उसके कारीगर राजा के लिए साड़ी बुन रहे हैं, लेकिन मंत्रियों ने बताया कि उन्हें कोई साड़ी दिखाई नहीं दे रही है। इस पर उस महिला ने कहा कि यह साड़ी सिर्फ वही लोग देख सकते हैं, जिनका मन साफ हो और जीवन में उन्होंने कोई पाप न किया हो।

 
महिला की यह बात सुनकर राजा के मंत्री परेशान हो गए। उन्होंने बहाना बनाते हुए उस महिला से कहा कि उन्होंने वह साड़ी देख ली है और वो वहां से चले गए। राजा के पास वापस आकर उन्होंने कहा कि वह साड़ी बहुत ही सुंदर है।

राजा इस बात से काफी खुश हुए। अगले दिन उन्होंने उस महिला को वह साड़ी लेकर दरबार में हाजिर होने का आदेश दिया। वह महिला एक बक्सा लिए हुए अपने कारीगरों के साथ अगले दिन दरबार में आ गई। उसने दरबार में बक्सा खोला और सबको साड़ी दिखाने लगी।

दरबार में बैठे सभी लोग बहुत हैरान थे, क्योंकि राजा समेत किसी भी दरबारी को कोई साड़ी नहीं दिखाई दे रही थी। यह देखकर तेनाली राम ने राजा के कान में कहा कि उस महिला ने झूठ बोला है। वह सभी को बेवकूफ बना रही है।

इसके बाद तेनाली राम ने उस महिला से कहा कि उन्हें या दरबार में बैठे किसी भी दरबारी को यह साड़ी दिखाई नहीं दे रही है।

तेनाली राम की यह बात सुनकर महिला ने कहा कि यह साड़ी सिर्फ उसी को दिखाई देगी जिसका मन साफ होगा और उसने कोई पाप न किया हो।

महिला की इस बात को सुनकर तेनाली राम के मन में एक योजना आई। उन्होंने उस महिला से कहा – “राजा चाहते हैं कि तुम खुद उस साड़ी को पहनकर दरबार में आओ और सभी को वह साड़ी दिखाओ।”

तेनाली राम की यह बात सुनकर वह महिला राजा के सामने मांफी मांगने लगी। उसने राजा को सब सच-सच बता दिया कि उसने कोई साड़ी नहीं बनाई है। वह सबको मूर्ख बना रही थी।

महिला की बात सुनकर राजा को बहुत गुस्सा आया। उन्होंने उसे जेल में डालने की सजा सुना दी, लेकिन जब उस महिला ने बहुत विनती की, तो उन्होंने उसे छोड़ दिया और माफ करके उसे जाने दिया। साथ ही राजा ने तेनाली राम की चतुराई की तारीफ भी की।

कहानी से सीख – अधिक दिनों तक झूठ या धोखा छिपाया नहीं जा सकता है। एक न एक दिन सच्चाई सबसे सामने आ ही जाती है।

 

 Tenali Rama hindi story तेनाली रामा की कहानियां 
2) तेनाली रामा की कहानियां: सुनहरा पौधा | Sunehra Podha Tenali Rama Story In Hindi


तेनालीराम हर बार अपने दिमाग का इस्तेमाल करके ऐसा कुछ करते थे कि विजय नगर के महाराज कृष्णदेव दंग रह जाते थे। इस बार उन्होंने एक तरकीब से राजा को अपने फैसले पर दोबारा विचार करने को मजबूर कर दिया।

हुआ यूं कि एक बार राजा कृष्णदेव किसी काम के चलते कश्मीर चले गए। वहां उन्हें एक सुनहरे रंग का खिलने वाला फूल दिखा। वो फूल महाराज को इतना पसंद आया कि वो अपने राज्य विजयनगर लौटते समय उसका एक पौधा अपने साथ लेकर आ गए।

महल पहुंचते ही उन्होंने माली को बुलाया। माली के आते ही महाराज ने उससे कहा, “देखो! इस पौधे को हमारे बगीचे में ऐसी जगह लगाना कि मैं इसे अपने कमरे से रोज देख सकूं। इसमें सुनहरे रंग के फूल खिलेंगे, जो मुझे काफी पसंद हैं। इस पौधे का काफी ख्याल रखना। अगर इसे कुछ भी हुआ, तो तुम्हें प्राण दंड भी मिल सकता है।

माली ने सिर हिलाते हुए राजा से पौधा लिया और उनके कमरे से दिखने वाली जगह में उसे लगा दिया। दिन रात माली उस फूल का खूब ख्याल रखता था। दिन जैसे ही बीतते गए उसमें सुनहरे फूल खिलने लगे। रोज राजा उठते ही सबसे पहले उसे देखते और फिर दरबार जाते थे। अगर किसी दिन राजा को महल से बाहर जाना पड़ता था, तो उस फूल को न देख पाने के कारण उनका मन दुखी हो जाता था।

एक दिन जब राजा सुबह उस फूल को देखने के लिए अपनी खिड़की पर आए, तो उन्हें वो फूल दिखा ही नहीं। तभी उन्होंने माली को बुलवाया।

महाराज ने माली से पूछा, “वो पौधा कहा गया। मुझे उसके फूल क्यों दिख नहीं रहे हैं।”

जवाब में माली ने कहा, “साहब! उसे कल शाम को मेरी बकरी खा गई।”

इस बात को सुनते ही उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। उन्होंने सीधे राजमाली को दो दिन बाद मौत की सजा सुनाने का आदेश दे दिया। तभी वहां सैनिक आए और उसे जेल में डाल दिया।

माली की पत्नी को जैसे ही इस बारे में पता चला, वो दरबार में राजा से फरियाद करने पहुंची। गुस्से में महाराज ने उसकी एक बात न सुनी। रोते-रोते वो दरबार से जाने लगी। तभी एक व्यक्ति ने उसे तेनालीराम से मिलने की सलाह दी।

 
रोते हुए माली की पत्नी ने तेनालीराम को अपने पति को मिली मौत की सजा और उस सुनहरे फूल के बारे में बताया। उसकी सारी बात सुनकर तेनालीराम ने उसे समझा-बुझाकर घर भेज दिया।

अगले दिन गुस्से में माली की पत्नी उस सुनहरा फूल खाने वाली बकरी को चौराहे में ले जाकर डंडे से पीटने लगती है। ऐसा करते-करते बकरी अधमरी हो गई। विजयनगर राज्य में पशुओं के साथ इस तरह का व्यवहार करना मना था। इसे क्रूरता माना जाता था, इसलिए कुछ लोगों ने माली की पत्नी की इस हरकत की शिकायत नगर कोतवाल को कर दी।

सारा मामला जानने के बाद नगर कोतवाल के सिपाहियों को पता चला कि यह सब माली को मिले दंड की वजह से वो गुस्से में कर रही है। यह जानते ही सिपाही इस मामले को दरबार में लेकर गए।

 
महाराज कृष्णराज ने पूछा कि तुम एक जानवर के साथ इतना बुरा व्यवहार कैसे कर सकती हो?

“ऐसी बकरी जिसके कारण मेरा पूरा घर उजड़ने वाला है। मैं विधवा होने वाली हूं और मेरे बच्चे अनाथ होने वाले हैं, उस बकरी के साथ कैसा व्यवहार करूं महाराज” माली की पत्नी ने जवाब दिया।

राजा कृष्णराज ने कहा, “तुम्हारी बात का मतलब मैं समझ नहीं पाया। ये बेजुबान जानवर तुम्हारा घर कैसे उजाड़ सकता है?”

उसने बताया, “साहब! ये वही बकरी है जिसने आपके सुनहरे पौधे को खा लिया था। इसकी वजह से आपने मेरे पति को मौत की सजा सुना दी है। गलती तो इस बकरी की थी, लेकिन सजा मेरे पति को मिल रही है। सजा असल में इस बकरी को मिलनी चाहिए, इसलिए मैं इसे डंडे से पीट रही थी।”

 
अब महाराज को यह बात समझ आई कि गलती माली की नहीं, बल्कि बकरी की थी। यह समझते ही उन्होंने माली की पत्नी से पूछा कि तुम्हारे पास इतनी बुद्धि कैसे आई कि इस तरह से मेरी गलती के बारे में समझा सको। उसने कहा कि महाराज, मुझे रोने के अलावा कुछ भी नहीं सूझ रहा था। यह सब मुझे पंडित तेनालीराम जी ने समझाया है।

एक बार फिर राजा कृष्णराय को तेनालीराम पर गर्व महसूस हुआ और उन्होंने कहा कि तेनालीराम तुमने मुझे एक बार फिर बड़ी गलती करने से रोक दिया। यह कहते ही महाराज ने माली का मृत्यु दंड का फैसला वापस लेते हुए उसे जेल से रिहा करने का आदेश दिया। साथ ही तेनालीराम को उनकी बुद्धि के लिए पचास हजार स्वर्ण मुद्राएं उपहार के रूप में दीं।

कहानी से सीख

समय से पहले कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। कोशिश करने से बड़ी-से-बड़ी मुसीबत से निपटा जा सकता है।

 
Tenali Rama hindi stories तेनाली रामा की कहानियां
3) तेनाली रामा की कहानियां: मनहूस कौन | Manhoos Kaun Story In Hindi


राजा कृष्णदेव राय के राज्य में चेलाराम नाम का एक व्यक्ति रहता था। वह राज्य में इस बात से प्रसिद्ध था कि अगर कोई सुबह-सवेरे उसका चेहरा सबसे पहले देख ले तो उसे दिनभर खाने को कुछ नहीं मिलता। लोग उसे मनहूस कहकर पुकारते थे। बेचारा चेलाराम इस बात से दुखी तो होता, लेकिन फिर भी अपने काम में लगा रहता।

 
एक दिन यह बात राजा के कानों तक जा पहुंची। राजा इस बात को सुनकर बहुत उत्सुक हुए। वह जानना चाहते थे कि क्या चेलाराम सच में इतना मनहूस है? अपनी इस उत्सुकता को दूर करने के लिए उन्होंने चेलाराम को महल में हाजिर होने का बुलावा भेजा।

दूसरी ओर चेलारम इस बात से अंजान खुशी-खुशी महल के लिए चल पड़ा। महल पहुंचने पर जब राजा ने उसे देखा तो वे सोचने लगे कि यह चेलारम तो दूसरों की भांति सामान्य प्रतीत होता है। यह कैसे दूसरे लोगों के लिए मनहूसियत का कारण हो सकता है। इस बात को परखने के लिए उन्होंने आदेश दिया कि चेलाराम को उनके शयनकक्ष के सामने वाले कमरे में ठहराया जाए।

 
आदेशानुसार चेलाराम को राजा के कमरे के सामने वाले कमरे में ठहराया गया। महल के नरम बिस्तर, स्वादिष्ट खानपान व राजसी ठाठ-बाठ को देखकर चेलाराम बहुत खुश हुआ। उसने भरपेट खाना खाया और रात को जल्दी ही सो गया।

अगली सुबह जल्द ही उसकी आंख खुल गई, लेकिन वह बिस्तर पर ही बैठा रहा। इतने में राजा कृष्णदेव राय उसे देखने के लिए कमरे में आए। उन्होंने चेलाराम को देखा और फिर अपने हर रोज के जरूरी काम के लिए चले गए।

उस दिन संयोगवश ही राजा को सभा के लिए जल्दी जाना पड़ा, इसलिए उन्होंने सुबह का नाश्ता नहीं किया। सभा की बैठक दिन भर इतनी लंबी चली कि सुबह से शाम हो गई, लेकिन राजा को भोजन करने का समय न मिला। थके-हारे, भूखे राजा शाम को भोजन के लिए बैठे ही थे कि परोसे हुए खाने में मक्खी पड़ी देखकर उन्हें बहुत गुस्सा आया व उन्होंने भोजन न करने का निर्णय किया।

 
भूख व थकान से राजा का बुरा हाल तो था ही, ऐसे में गुस्से में आकर उन्होंने इस बात का दोषी चेलाराम को ठहराया। उन्होंने स्वीकार कर लिया कि वह एक मनहूस व्यक्ति है तथा जो कोई भी सुबह-सुबह उसका चेहरा देख ले तो उसे दिन भर अन्न का एक निवाला भी नसीब नहीं होता। उन्होंने गुस्से में आकर चेलाराम को मृत्युदंड की सजा सुनाई और कहा कि ऐसे व्यक्ति को राज्य में जीने का कोई अधिकार नहीं है।

जब यह बात चेलाराम को पता चली तो वह भागा-भागा तेनालीराम के पास पहुंचा। उसे मालूम था कि इस सजा से उसे केवल तेनालीराम ही बचा सकते हैं। उसने उन्हें अपनी पूरी व्यथा सुनाई। तेनालीराम ने उसे आश्वासन दिया और कहा कि वह न डरे और जैसा वो कहते हैं बिल्कुल वैसा करे।

 
अगले दिन फांसी के समय चेलाराम को लाया गया। उससे पूछा गया कि क्या उसकी कोई आखरी इच्छा है? जवाब में चेलाराम ने कहा, हां, वह राजा समेत पूरी प्रजा के सामने कुछ कहने की अनुमति चाहता है।

इतना सुनते ही सभा का एलान किया गया। जब चेलाराम सभा में पहुंचा तो राजा ने उससे पूछा, “बोलो चेलाराम, तुम क्या कहने की अनुमति चाहते हो?”

चेलाराम बोला, “महाराज, मैं केवल यह कहना चाहता हूं कि अगर मैं इतना मनहूस हूं कि जो कोई मुझे सुबह देख ले तो उसे दिन भर भोजन नसीब नहीं होता, तो आप भी मेरी तरह एक मनहूस हैं।”

यह सुन सभी उपस्थित लोग भौचक्के रह गए और राजा की ओर देखने लगे। राजा ने भी क्रोधित स्वर में कहा, “तुम्हारी ये मजाल, तुम ऐसी बात कैसे और किस आधार पर कह सकते हो?”

 
चेलाराम ने जवाब दिया, “महाराज, उस दिन सुबह सबसे पहले मैंने भी आप ही का चेहरा देखा था और मुझे मृत्युदंड की सजा सुनाई गई। इसका अर्थ तो ये हुआ कि आप भी मनहूस हैं, जो कोई सुबह सबसे पहले आपका चेहरा देख ले उसे मृत्युदंड मिलना तय है।”

चेलाराम की यह बात सुनकर महाराज का गुस्सा शांत हुआ और उन्हें यह एहसास हुआ कि चेलाराम निर्दोष है। उन्होंने शीघ्र ही उसे रिहा करने का आदेश दिया और उससे माफी मांगी। उन्होंने चेलाराम से पूछा कि उसे ऐसा कहने के लिए किसने कहा था?

चेलाराम ने जवाब दिया, “तेनालीराम के अलावा कोई और मुझे इस मृत्युदंड से नहीं बचा सकता था। इसलिए मैंने उनके समक्ष जाकर अपने प्राणों की गुहार लगाई थी।”

यह सुनकर महाराज अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने तेनालीराम की खूब प्रशंसा की। उनकी बुद्धिमानी को देख महाराज ने उन्हें रत्नजड़ित सोने का हार इनामस्वरूप दिया।

कहानी से सीख 

तेनालीराम की इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि बिना सोचे-विचारे हमें किसी की भी बातों में नहीं आना चाहिए।

 

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