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What is Cryosleep technology: वो टेक्नोलॉजी जो इंसानों को बनाएगी 'अजर-अमर.

 What is Cryosleep: वो टेक्नोलॉजी जो इंसानों को बनाएगी 'अजर-अमर. 

            
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 What is Cryosleep: एक ऐसा नींद जो दिनों की नहीं, सालों की नहीं बल्कि तब तक के लिए हो, जब तक एक शख्स को सोना हो. क्रायोस्लीप का कॉन्सेप्ट कुछ इसी परिकल्पना पर काम करता है. क्या आप एक ऐसी नींद में सोना चाहेंगे, जो सालों बाद आपकी जरूरत पड़ने पर टूटे. फिल्मों में आपने इस कॉन्सेप्ट को देखा होगा. आज हम इस पर ही चर्चा कर रहे हैं.

Cryosleep क्या है और भविष्य में इससे क्या कुछ बदलेगा? 
 

क्या कोई ऐसा तरीका है जो इंसानों को अमर बना दे? 'अजर-अमर' के कितने ही किस्से और कहानियां हम सुनते आए हैं. कितने ही लोग सालों से खुद को अमर करना चाहते हैं. अजरता और अमरता की ऐसी कहानियां आपने फिल्मों में कई बार देखी होंगी. अगर आप साइंस फ्रिक्शन पर फिल्में देखना पसंद करते हैं, तो Cryosleep के बारे में सुना होगा.

 ये कॉन्सेप्ट कुछ ऐसा है कि इसमें इंसान गहरी नींद में चला जाता है. इतनी गहरी नींद में कि साल बाद उसका जागना वापस जिंदा होने जैसा होता है. Interstellar में आपको ये कॉन्सेप्ट देखने को मिलता है. Interstellar ही क्यों Captain America और The Boys में Soldier Boy की कहानी में भी हमें ऐसा कुछ देखने को मिलता है. 

जहां कैप्टन अमेरिका एक हादसे में बर्फ में दब जाता है और सालों बाद जिंदा मिलता है, लेकिन उसकी उम्र थम चुकी होती है. वहीं Soldier Boy को प्रिजर्व किया जाता है. खैर ये सारी बातें फिल्मों की है. सवाल ये है कि क्या असल जिंदगी में भी ऐसा हो सकता है? 

कहां से शुरू हुआ सफर?
दरअसल, बहुत से लोग हमेशा के लिए दुनिया में रहना चाहते हैं और उनकी इसी चाहत का नतीजा Cryosleep है. दुनियाभर में इस टेक्नोलॉजी पर वैज्ञानिक काम कर रहे हैं. Cryosleep की परिकल्पना Cryonics से शुरू होती है.

Cryonics के कॉन्सेप्ट की शुरुआत एक किताब से होती है. मिशिगन प्रोफेसर Robert Ettinger ने अपनी किताब The Prospect of Immortality ने इसका जिक्र किया था. ऐसा ही नहीं है कि इसे लोगों को अमर करने के लिए ही डेवलप किया रहा है. बल्कि इसका इस्तेमाल स्पेस मीशन में भी किया जाएगा.

Cryonics शब्द ग्रीक भाषा से लिया गया है, जिसका मतलब ठंडा होता है. ये पूरी प्रक्रिया एक ऐसी कल्पना पर काम करती है, जिसमें किसी इंसान को -196 डिग्री सेल्सियस पर रखा जाता है, जिससे उसका शरीर खराब ना हो. ताकि भविष्य में कभी उसे वापस नींद से उठाया जा सके.

वैसे दुनियाभर में बहुत से लोगों को फ्रीज करके रखा जरूर गया है, लेकिन ये लोग जिंदा फ्रीज नहीं किए गए थे. इसमें किसी शख्स की बॉडी को -200 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा करके लिक्विड नाइट्रोजन से भरे कंटेनर में रखा जाता है. इस प्रॉसेस के तहत किसी को अभी तक जिंदा नहीं किया गया है, लेकिन ये परिकल्पना हमें नए आयाम पर लेकर जाएगी.  

क्या होता है Cryosleep का पूरा प्रॉसेस? 
फर्ज करिए किसी रोज हम इस टेक्नोलॉजी को इजात कर लेते हैं. उस स्थिति में क्या होगा. दरअसल, Cryosleep एक ऐसा प्रॉसेस है, जिसमें ड्रग्स या फिर चैम्बर या किसी और तरीके से इंसान की बॉडी के मोशन को रोक दिया जाता है.

इन्हें इस उम्मीद में प्रिजर्व किया जा रहा होगा कि ये एक दिन जरूरत पड़ने पर इन्हें वापस जगा लिया जाएगा. फिल्मों में इस तरह के कई सीन आते हैं, लेकिन असल जिंदगी में ऐसा नहीं हुआ है. 

हां, उम्मीद है कि भविष्य में एक दिन इस टेक्नोलॉजी को विकसित कर लिया जाएगा. जब डॉक्टर या वैज्ञानिक फ्रीज किए गए लोगों को नींद से उठा सकेंगे, लेकिन अभी ऐसा संभव नहीं है. तो फिर सवाल आता है कि इस टेक्नोलॉजी पर चर्चा क्यों हो रही है. 

दरअसल, साल 2016 में पेंसिल्वेनिया में Justin Smith नाम के एक युवक के साथ कुछ ऐसा हुआ, जिसकी सालों से सिर्फ कल्पना की जा रही थी. 26 साल का Justin Smith रात को घर से बाहर निकला था और लौट कर नहीं आया. जब घर वालों ने उसे खोजा तो वह घंटों से बर्फ में दबा हुआ था.

लगभग 9 घंटे बर्फ में दबे होने के बाद भी उसकी मौत नहीं हुई थी. उसका शरीर जम गया था. रिपोर्ट्स की मानें तो युवक का चेहरा नीला पड़ा गया था. ना तो उसकी सांसे चल रही थी, ना ही नब्ज. डॉक्टर्स और घरवालों ने उम्मीद नहीं छोड़ी. युवक की बॉडी का टेम्परेचर इतना कम था कि उसका इलाज कर पाना संभव नहीं था.

इसके बाद डॉक्टर उसे ऐसे हॉस्पिटल ले गए, जहां ECMO (extracorporeal membrane oxygenation) की सुविधा हो. ये मशीन शरीर में मौजूद खून को गर्म करती है और उसे बॉडी में दोबारा पंप करने में मदद करती है. इलाज शुरू होने के लगभग 30 दिनों के बाद Justin Smith होश में आया. 

'नींद' से 'सपनों' का सफर
इस टेक्नोलॉजी को हकीकत बनाने की कोशिश लंबे वक्त से हो रही है. इस पर स्पेस वर्क इंटरप्राइजेज और NASA मिलकर काम कर रहे हैं. दोनों संस्थाएं इस तरह का स्टैटिक चैम्बर तैयार करने की कोशिश कर ही हैं, जो Cryosleep को हकीकत बना सके. इन संस्थाओं का मानना है कि अगर ये कॉसेप्ट तैयार हो जाता है, जो किसी स्पेस मीशन को पूरा करना काफी आसान हो जाएगा. 

मसलन मंगल ग्रह पर इंसानों की बस्ती बसानी हो या फिर किसी और ग्रह पर जांच दल को भेजना हो. Cryosleep इन मीशन के सफल होने के चांस को काफी ज्यादा बढ़ा देगा. दरअसल, किसी को होश में स्पेस में भेजने से पहले उस शख्स को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करना पड़ता है.

वहीं अगर किसी को नींद में स्पेस में भेजा गया, तो उस पर स्पेस यात्रा के दौरान पड़ने वाले प्रभावों को कम किया जा सकेगा. ये पूरी कहानी किसी सपने के सच होने जैसी होगी. यानी एक गहरी नींद... नींद जो सपने लेकर आती है और सपने जिसे साकार करने के लिए इस नींद को चुना गया हो. 


 

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