Danny Denzongpa Biography in Hindi | डैनी डेन्जोंगपा जीवन परिचय
Danny Denzongpa Biography in Hindi | डैनी डेन्जोंगपा जीवन परिचय
जीवन परिचय
वास्तविक नाम - शेरिंग फ़िनसो डेन्ज़ोंगपा उपनाम डैनी
व्यवसाय- अभिनेता, निर्देशक, और व्यवसायी
शारीरिक संरचना
लम्बाई (लगभग) - से० मी०- 178, मी०- 1.78
फीट इन्च- 5' 10"
भार/वजन (लगभग) 75 कि० ग्रा०
चेस्ट (लगभग) 41 इंच
कमर (लगभग) 34 इंच
बाइसेप्स (लगभग) 12 इंच
आँखों का रंग काला
बालों का रंग काला
करियर
डेब्यू • हिंदी फिल्म: "जरूरत" (1971)
• निर्देशन के रूप में: "फिर वही रात" (1980)
Phir Wahi Raat (1980)
पुरस्कार/उपलब्धियां • वर्ष 1992 में उन्हें 'सनम बेवफा' के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
• वर्ष 1993 में डैनी को 'खुदा गवाह' के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
• वर्ष 2003 में उन्हें "पद्मश्री" से सम्मानित किया गया।
Padma Shri Award 2003
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि 25 फरवरी 1948 (बुधवार)
आयु (2023 के अनुसार) 76 वर्ष
जन्मस्थान गंगटोक, सिक्किम, भारत
राशि मीन (Pisces)
हस्ताक्षर Danny Denzongpa's signature
राष्ट्रीयता भारतीय
गृहनगर गंगटोक, सिक्किम
धर्म बौद्ध
स्कूल/विद्यालय बिरला विद्या मंदिर, नैनीताल
कॉलेज/विश्वविद्यालय • सेंट जोसेफ कॉलेज, दार्जिलिंग
• भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई), पुणे
शैक्षिक योग्यता अभिनय में डिप्लोमा
शौक/अभिरुचि घुड़सवारी करना, पेंटिंग करना, लिखना, और मूर्तिकला
डैनी डेंगजोंग्पा घर से 1500 रुपये लेकर आये थे मुंबई, बनना चाहते थे गज़ल गायक
‘मौत और बदनसीबी दो ऐसी चीजें हैं जो बग़ैर ख़बर किए आती है’, ‘हम खतरों को पालते नहीं खत्म कर देते हैं’ जैसे डायलॉग्स सुनते ही हमारे सामने लाल आंखें, तनतनाता चेहरा, रौब वाला अंदाज लिए हिंदी फिल्मों के उस लीजेंड कलाकार की तस्वीर बन जाती है, जो जब भी कैमरे के सामने होता था तो उसका मिज़ाज ज्यादातर समय कुछ ऐसा ही होता था।
जी हां, हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड में दशकों तक अपना सिक्का चलाने वाले डैनी डेंगजोंग्पा की। उन्होंने अपनी दमदार अभिनय क्षमता से हिंदी सिनेमा में दशकों तक लाखों दिलों पर अपनी एक अलग छाप छोड़ी और आज भी उनका प्रसिद्धि वैसे ही कायम है। आज 25 फ़रवरी को वरिष्ठ अभिनेता डैनी डेंगजोंग्पा अपना 75वां का जन्मदिन मना रहे हैं। इस अवसर पर जानिए फेमस एक्टर डेंगजोंग्पा के जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
सिक्किम के गंगटोक में हुआ जन्म
डैनी डेंगजोंग्पा का जन्म 25 फ़रवरी, 1948 को सिक्किम के गंगटोक में हुआ। उनका असल नाम शेरिंग फिंटसो डेंगजोंग्पा है। उनके बारे में एक रोचक किस्सा यह है कि जब वो बॉलीवुड में आए तो उनके नाम का उच्चारण करने में लोगों को दिक्कत आती थी, जिसके बाद जया बच्चन ने इन्हें ‘डैनी’ नाम दिया। इसके बाद वे फिल्मी दुनिया में डैनी के नाम से मशहूर हो गए। डैनी कॉलेज के दिनों से आर्मी में जाने का सपने देखा करते थे, लेकिन मां की नामंजूरी के बाद उन्होंने अभिनय को अपने करियर के रूप में चुना।
शोले के ‘गब्बर’ के लिए पहली पसंद थे डैनी
भारतीय सिनेमा के इतिहास की कालजयी फिल्म ‘शोले’ हम सबको याद है। आज भी इस फिल्म का हर डायलॉग लोगों की जुबां पर रहता है। शोले के जिस गब्बर सिंह के नाम पर आज भी कितनी मां अपने बच्चों को सुलाती है, उस गब्बर का किरदार निभाने के लिए निर्देशक रमेश सिप्पी ने सबसे पहले अमजद खान की जगह डैनी डेंगजोंग्पा को पसंद किया था। लेकिन डैनी उस दौरान अपनी कुछ फिल्मों की व्यस्तता के चलते डेट्स फाइनल नहीं कर सके थे। इस दौरान रमेश सिप्पी ने गब्बर सिंह के रोल के लिए अमजद खान को सिलेक्ट कर लिया।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं डेंगजोंग्पा
फिल्मों में अपने अब तक के 5 दशक के करियर में डैनी डेंगजोंग्पा ने अपना एक अलग मुकाम हासिल किया है। एक्टिंग के अलावा डैनी और भी कई शौक रखते हैं। वे टेबल टेनिस के एक अच्छे खिलाड़ी हैं। फिल्मों से फुरसत मिलते ही डैनी कई बार सेट पर अमिताभ बच्चन के साथ टेनिस खेला करते थे। इसके अलावा उन्हें गाना गाने का भी बड़ा शौक है। सादगी भरी ज़िंदगी जीने वाले डैनी नियमों के पक्के माने जाते हैं।
‘पद्मश्री’ से सम्मानित किए जा चुके हैं अभिनेता डैनी
डैनी डेंगजोंग्पा को आखिरी बार वर्ष 2022 में अभिनेता अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म ‘ऊंचाई’ में देखा गया। इससे पहले वह साल 2019 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘मणिकर्णिका’ में नज़र आए थे। वे रोज़ाना सुबह 5 बजे योगा के साथ अपना दिन शुरू करते हैं। डैनी हमेशा से ही मीडिया से दूरी बनाए रखने में विश्वास रखते हैं। यही वजह है कि उनकी निजी ज़िंदगी या फिल्मी करियर को लेकर किसी तरह की अफवाहें कम सुनने को मिलती है। कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए डैनी डेंगजोंग्पा को वर्ष 2003 में भारत सरकार की ओर से देश के चौथे सर्वोच्च सम्मान ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया।
डैनी डेन्जोंगपा से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां
डैनी डेन्जोंगपा एक भारतीय अभिनेता, निर्देशक, और व्यवसायी हैं जिन्होंने अपने विलन किरदार से बॉलीवुड की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।
डैनी का जन्म और पालन-पोषण सिक्किम, गंगटोक के एक बौद्ध परिवार में हुआ था।
डैनी का बचपन से ही सपना था की वह बड़ा होकर भारतीय सेना में काम करेगें। लेकिन 1960 के दशक में भारत-चीन युद्ध के परिणामों को देखने के बाद उनकी माँ ने उन्हें सशस्त्र बलों में शामिल होने की अनुमति नहीं दी। उनकी माँ ने ही उन्हें अभिनय और आर्टिस्टिक में जाने की सलाह दी। जिसके बाद उन्होंने हिंदी सिनेमा की ओर रुख किया। डेन्जोंगपा ने सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज, पुणे से अपना आवेदन वापस ले लिया और फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई), पुणे में दाखिला लिया।
धीरे-धीरे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए उन्होंने पश्चिम बंगाल से सर्वश्रेष्ठ कैडेट का पुरस्कार जीता और यहां तक कि गणतंत्र दिवस परेड में भी भाग लिया।
एफटीआईआई में शामिल होने के बाद डैनी बॉलीवुड अभिनेत्री जया बच्चन के एक अच्छे दोस्त बन गए, जो उनकी सहपाठी थीं। जया के सुझाव पर, ‘शेरिंग फ़िनसो डेन्ज़ोंगपा’ ने एक छोटा और सरल नाम डैनी अपनाया।
डैनी अभिनय के शुरुआत में हिंदी भाषा से अच्छी तरह से परिचित नहीं थे। उन्हें अपने करियर के शुरुआती दिनों में अभिनय करना बहुत कठिन लगता था। अभिनय के शुरुआत में उनका एक ‘विपरीत-बॉलीवुड चेहरा’ था, जो उस समय के निर्देशकों के अनुसार नौकर के अलावा किसी भी भूमिका के लिए उपयुक्त नहीं था।
उनके दो सबसे प्रसिद्ध नेपाली गीत जो 1970 के दशक में रिकॉर्ड किए गए थे लेकिन अभी भी लोकप्रिय हैं “चिसो चिसो हवामा” (“ठंडी हवा में”) और “मनको कुरा लाई बंधी नारखा (“दिल के शब्दों को बांधकर न रखें”) हैं।
कुछ फिल्मों में संघर्ष करने के बाद डेन्जोंगपा आखिरकार तब सुर्खियों में आए जब उन्होंने 1972 की फिल्म “धुंध” में नकारात्मक भूमिका निभाई।
उन्होंने आशा भोसले के साथ काला सोना में युगल गीत “सुनो सुनो कसम से” गाया और 1978 में किशोर कुमार, मोहम्मद रफी, आशा भोसले और युगल गीत “मुझे दोस्त तुम गले लगा लो” गाया।
एक बार प्रोड्यूसर मोहन कुमार ने कहा था कि तुम्हे इंडस्ट्री में कोई हीरो बना दे तो मैं अपना नाम बदल दूंगा। [1]
दिलचस्प बात यह है कि ‘गब्बर’ की प्रतिष्ठित भूमिका सबसे पहले डेन्जोंगपा को ऑफर की गई थी। लेकिन वह फ़िरोज़ खान की “धर्मात्मा” फिल्म की शूटिंग में व्यस्त थे, इसलिए उन्होंने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
राजेश खन्ना के साथ “अभिनीत” उनकी पहली फिल्म थी। जिसके बाद फिल्म “फिर वही रात” बॉक्स-ऑफिस पर एक बड़ी सफलता बनी।
अभिनेता का सिक्किम, उड़ीसा और गुवाहाटी जैसे राज्यों में ब्रुअरीज का समृद्ध व्यवसाय भी है।
अपने 4 दशक लंबे करियर में डैनी 210 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है। जिनमें डैनी की मशहूर फिल्में रही ‘अग्निपथ’, ‘हम’, ‘सनम बेवफा’, ‘खुदा गवाह’, ‘घातक’ और ‘बेबी’ शामिल हैं।
वर्ष 1996 की बॉलीवुड फिल्म “घातक” में उनके नकारात्मक किरदार को लोगों ने खूब पसंद किया।Danny Denzongpa in Ghatak
वर्ष 2003 में डैनी डेन्जोंगपा को भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान “पद्म श्री” से सम्मानित किया गया।
वर्ष 2007 की फिल्म “फ्रोजन” का प्रीमियर 34वां अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में किया गया था और यह फिल्म 18 पुरस्कार प्राप्त की थी।
हालांकि डेन्जोंगपा ने अमिताभ बच्चन के साथ कई फिल्मों में काम किया है, लेकिन शुरुआत में वह ‘बिग बी’ के साथ काम करने के लिए अनिच्छुक थे। एक साक्षात्कार में, उन्होंने कहा कि उन दिनों किसी के साथ अभिनय करना लोकप्रियता के लिए एक बड़ा जोखिम था, क्योंकि अगर फिल्म सफल हो जाती है तो वरिष्ठ को सारा श्रेय मिल जाता था और अगर फिल्म फ्लॉप हो जाती थी, तो अन्य असफलता का खामियाजा अभिनेताओं को भुगतना पड़ा था।
साथ ही एक गायक के रूप में डैनी ने आशा भोसले, लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी के साथ कई ट्रैक रिकॉर्ड किए।
वह बंगाली, नेपाली, तमिल और तेलुगु फिल्मों में भी दिखाई दिए।
उनकी सबसे प्रसिद्ध खलनायक भूमिकाएँ धुंड, 36 घंटे, बंदिश (1980), जियो और जीने दो, धर्म और कानून और अग्निपथ में हैं, जबकि उनकी सबसे अच्छी ज्ञात सकारात्मक भूमिकाएँ फकीरा, चोर मचाए शोर, देवता, कालीचरण, बुलुंडी और अधिकार में थी।
उन्होंने कुछ अंतरराष्ट्रीय फिल्मों में भी अभिनय किया है जिनमें से सबसे प्रसिद्ध “तिब्बत में सात साल है” जहां वह ब्रैड पिट के साथ दिखाई दिए।
उनके द्वारा निर्देशन में बनी फिल्म “फिर वही रात” को हिंदी सिनेमा की शीर्ष पांच सर्वश्रेष्ठ हॉरर सस्पेंस फिल्मों में माना जाता है।
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